लंदन ।। गर्भ में नौ महीने और जन्म के बाद के दो वर्ष बच्चे के भावी जीवन के स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन्हीं 1,000 दिनों में यह तय होता है कि आगे चलकर बच्चे का स्वास्थ्य कैसा रहेगा।
समाचार पत्र ‘डेली मेल’ में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती 1000 दिनों में यह तय होता है कि 40-50 वर्ष की उम्र का होने के बाद वह बच्चा मधुमेह और फिर बुढ़ापे में दिल का रोगी बनेगा या नहीं।
यह रिपोर्ट ब्रिटेन के साउथ हैम्पटन विश्वविद्यालय के डेविड बर्कर और उनके सहयोगियों द्वारा दशकों तक किए गए अनुसंधान पर आधारित है। शोध इस बात की पुष्टि करता है कि गर्भधारण से पहले और उसके बाद माता-पिता की स्वस्थ जीवनशैली बच्चे को स्वस्थ भविष्य दे सकता है।
बच्चा जब गर्भ में पलता है, तभी भावी जीवन में उसके रोगग्रस्त होने का खतरा पनपने लगता है, लेकिन इसके बावजूद मस्तिष्क, हड्डियां और प्रतिरक्षा प्रणाली जन्म के बाद तक अतिसंवेदनशील होते हैं।
बच्चों की आयु कितनी लम्बी होगी, यह भी उनके इन्हीं शुरुआती दिनों के आधार पर बताया जा सकता है। माता-पिता के खराब खान-पान, धूम्रपान, तनाव, नशीले पदार्थो का सेवन और शराब की लत बच्चों के जीवन पर बुरा असर डालती हैं।
एक बार बच्चों के जीवन के शुरुआती दिनों में क्षति हो गई तो उसकी पूर्ति नहीं की जा सकती है। बर्कर के मुताबिक जन्म के समय यदि बच्चे का वजन कम रहा, तो भविष्य में उसके हृदय रोगी होने के आसार अधिक होते हैं।
छोटे बच्चों को उच्च कोलेस्ट्रॉल का भी खतरा रहता है, क्योंकि यकृत ही खून में अस्वास्थ्यकर चर्बी को नियंत्रित करता है। अगर गर्भ में बच्चे के यकृत को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, तो बाद में चलकर उसके उच्च कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होने की सम्भावना और बढ़ जाती है।