देश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति को बराबर के स्तर पर लाने और उनके संवैधानिक हक की रक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं। उनमें से ही एक कानून है जिसे अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति एक्ट कहा जाता है।
भारत बंद की मुख्य वजह
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट में ऐतिहासिक परिवर्तन किए है। इन परिवर्तनों में सबसे महत्वपूर्ण है कि शिकायत के बाद अब तक सबसे पहले गिरफ्तारी होती थी लेकिन अब गिरफ्तारी से पहले इसकी जांच पहले एसएसपी लेवल के अफसर से करानी होगी। इसके बाद जांच की रिपोर्ट के आधार पर ही पुलिस अगले कदम उठा सकती है।
जहां पहले इस एक्ट की शिकायत पर इंस्पेक्टर लेवल का अधिकारी जांच करता था वहीं अब ये जिम्मेदारी एसएसपी लेवल के अधिकारी को दी जाएगी।
इसके अलावा सरकारी कार्यालय आदि में ऐसी कोई घटना हो जाने पर अपले वरिष्ठ अधिकारी की लिखित मंजूरी लेने के बाद ही इस केस में आगे की कोई कार्यवाही की जा सकेगी।
अग्रिम जमानत का नहीं था प्रावधान
जहां इस कानून में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं था तो उसे भी सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित किया और कहा कि यह पूरी तरह न्यायाधीश पर निर्भर करेगा की वो अग्रिम जमानत देते हैं या नहीं।
कोर्ट ने यह ऐतिहासिक कदम इस बात को ध्यान में रखकर उठाया कि कई लोग इस कानून का गलत इस्तेमाल करते रहे हैं जिससे कई बार बेकसूर लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। गौरतलब है कि पूरे देश में 11,060 ऐसे मामले 2016 में सामने आए थे जिसमें से 935 पूरी तरह से झूठे पाए गए।
अदालत के इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करने के बजाए दलित संगठन कुछ राजनैतिक दलों के सहयोग से सड़कों पर उतर आए और आगजनी करने लगे।
2 अप्रेल को पूरे देश में इस निर्णय के खिलाफ भारत बंद बुलाया गया। देश में इसका असर न होते देख सड़क पर उतरे संगठन अपना आपा खो बैठे और हिंसा पर उतर आए। इस हिंसा में की गई तोड़–फोड़ से देश को जो आर्थिक नुकसान हुआ वो अलग लेकिन 10 बेगुनाह लोगों को भी अपनी जान गवांनी पड़ी। जगह जगह हुई हिंसाओं में कई लोग घायल भी हो गए।
देश के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संगठन ये चाहते हैं कि इस एक्ट के साथ छेड़छाड़ न हो और अराजक लोग इस कानून का वैसे ही दुरउपयोग करते रहें जैसे अब तक होता आया है।
खैर आंदोलन के बाद भारत सरकार भी दबाव में दिखी और कोर्ट के सामने पुर्नविचार याचिका रखी। जिसके लिए कोर्ट ने तुरंत मंजूरी दे दी। अब सुप्रीम कोर्ट में दोबारा इस पर बहस होगी कि इस कानून में परिवर्तन किया जाए या नहीं।
इस मुद्दे पर हाल ही में देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बयान दिया और कहा कि सरकार ने इस कानून में बदलाव नहीं किया है बल्कि इसे और मजबूत और पुख्ता बनाने की ओर कदम बढ़ाया है।
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