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दुनिया में 195 देश हैं और हर देश की राजनीतिक गतिविधियां उसके पार्लियामेंट से ही कंट्रोल की जाती हैं। इस वजह से हर देश का पार्लियामेंट हाउस उसके लिए बहुत खास और महत्‍वपूर्ण होता है। इसी तरह भारत का संसद भवन भी बहुत खास है और ये ना केवल राजनीतिक महत्‍व रखता है बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी बहुत महत्‍वपूर्ण माना जाता है।

देश में संसद भवन सर्वाधिक भव्‍य भवनों में से एक है और इसकी वास्‍तुकला को उत्‍कृष्‍ट दर्जा दिया गया है।

दिल्‍ली में आए पर्यटकों की पसंद

अगर कोई पर्यटक दिल्‍ली घूमने आता है तो वो देश की ऐतिहासिक धरोहर संसद भवन को बिना देखे वापिस नहीं लौटता है। संसद भवन को देखे बिना दिल्‍ली की यात्रा अधूरी मानी जाती है। ये इमारत आजादी से पहले बनी थी और इसी वजह से ये हर देशवासी के दिल में एक खास जगह रखती है।

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इतने सालों में बना था संसद भवन

पार्लियामेंट के निमार्ण में 7 साल का समय लगा था और आपको जानकर हैरानी होगी कि इस इमारत को बनने में 83 लाख रुपए का खर्च आया था। उस दौर में इतनी महंगी इमारतें कम ही हुआ करती थीं। इसकी नींच ड्यूक ऑफ क्‍नॉट ने 12 फरवरी, 1921 को रखी थी। इस इमारत की वास्‍तुकला का कार्यभार सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने संभाला था और इन्‍होंने ही नई दिल्‍ली की आयोजना और निर्माण का कार्य किया था। इस भवन का उद्घाटन भारत के तत्‍कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 1927 में 18 जनवरी को किया था।

संसद भवन का व्‍यास 560 फुट है और ये विशाल इमारत वृत्ताकार है। इसकी परिधि एक मील की एक तिहाई 563.33 मीटर की है। ये विशाल भवन लगभग 6 एकड़ के क्षेत्रफल में बना है। संसद भवन की सबसे खास बात ये है कि इसमें 144 स्‍तंभ हैं और इसके हर स्‍तंभ की ऊंचाई 27 फुट है। भवन के 12 द्वार हैं जिनमें से संसद मार्ग पर स्थित द्वार प्रमुख है।

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संसद के उल्‍टे पंखे कर देंगें हैरान

ब्रिटिश काल में बना भारत का संसद भवन काफी अलग है। यहां पर ऐसी कई चीज़ें हैं जो सामान्‍य रूप से अलग हैं। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में कमरे की सीलिंग पर उल्‍टे पंखे लगे हैं।

दरअसल, हाल ही में भारत के 14वें राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद में शपथ ग्रहण की थी और इस दौरान मीडिया और वहां उपस्थित लोगों का ध्‍यान यहां लगे उल्‍टे पंखों पर गया।

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उल्‍टे पंखों का क्‍या है कारण

इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि जब से संसद भवन बना है तभी से यहां पर उल्‍टे पंखे लगे हुए हैं और अब ये इसकी ऐतिहासिकता का हिस्‍सा बन गए हैं। इनके साथ कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस ऐतिहासिक धरोहर की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए अभी तक इसके पंखों को उल्‍टे ही रहने दिया गया है।

अगर आपको कभी संसद भवन जाने का मौका मिले तो वहां लगे उल्‍अे पंखों पर जरूर ध्‍यान दीजिएगा। ये वाकई में अद्भुत और अनोखा है।

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