भारत ने आजादी के बाद बहुत तरक्की की है। देश के तरक्की में नेताओं का अहम योगदान रहा है। यहा आप जानेंगे उन नेताओं को जिन्होंने किसी न किसी रुप में देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में योगदान किया है।
हम बात आजाद भारत की कर रहे हैं स्वभाविक रूप से गांधी के बाद के भारत के नेताओं की योगदान की चर्चा होगी।
जवाहर लाल नेहरू
देश के प्रथम प्रधानमंत्री जिन्होनें देश को एक अलग सोच के साथ आगे बढ़ाया। नेहरू को नव भारत का निर्माता भी कहा जाता है। नेहरू ने दुनिया भर में गुट निरपेक्षता का नारा दिया था। भारत में उन्होने एक से एक उद्योग धंधे लगवाए नेहरू को एक लोकतांत्रिक इंसान के रूप में याद किया जाता है। नेहरू ने भारत में लोकतंत्र की स्थापना में एक अहम योगदान दिया।
सरदार पटेल
जब देश आजाद हुआ तो नेहरू और सरदार पटेल ही दो सबसे प्रमुख नेता थे। हलांकि नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया लेकिन सम्मान के मामले में सरदार पटेल भी कम नही थे। सरदार पटेल ने देश भर मे लगभग 600 देशी रियासतों को अपने साथ अर्थात भारत में मिलाया। सरदार पटेल काफी कम समय तक जीवित रहे लेकिन बतौर उप प्रधानमंत्री उन्होनें कुछ ऐसे कार्य किये जिस कारण पूरा देश आज भी उन्हें याद करता है।
बी आर अंबेडकर
अबेंडकर को भारत के संविधान का पिता कहा जाता है। अंबेडकर ने भारत के संविधान का प्रारुप तैयार किया था। अंबेडकर ने दलितों के हीत में कई मुद्दे हमेशा उठाया। भारतीय संविधान को समावेशी बनाने में अंबेडकर का योगदान सबसे अधिक रहा। अंबेडकर को दलित अधिकारों का जनक माना जाता है।
डॉक्टर राम मनोहर लोहिया
राम मनोहर लोहिया एक महान समाजवादी नेता के थे उन्होने विदेश में शिक्षा ग्रहण की थी और भारत में वापस आ कर गांधी जी के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। उन्होने साम्यवाद को भारत के अर्थ में परिभाषित किया था। लोहिया ने जाति के प्रतिनिधित्व के मुद्दा को उठाया था। लोहिया ने भारत में एक नई राजनीति की शुरूआत की थी। आज भी जितने भी समाजवादी विचारधारा के लोग हैं वो राम मनोहर लोहिया के विचारों पर चलते हैं।
इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थी। इंदिरा गांधी ने देश के लिये कई एतिहासिक और सहासिक फैसले लिये। 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी के कुशल नेतृत्व में भारत ने जीत प्राप्त की। इंदिरा गांधी को एक मजबूत नेता माना जाता था। इंदिरा गांधी ने सिंक्कम को भारत से मिलाने में अहम योगदान दिया।
जयप्रकाश नारायण
जयप्रकाश नारायण एक महान गांधीवादी नेता थे। आजादी के बाद उन्होनें सक्रिय राजनीति छोड़ दी थी लेकिन 1974 में इंदिरा सरकार के नीतियों के विरूद्ध उन्होनें संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था। जयप्रकाश अपातकाल के समय भी वर्षो तक जेल में रहे थे।
विनोबा भावे
आचार्य विनोवा भावे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी रहे थे। विनोवा भावे ने आजादी के बाद भारत में चल रहे जमींदारी प्रथा को खत्म करने के लिए काम किया था। विनोवा भावे ने भू-दान आंदोलन की शुरूआत की थी उनके नेतृत्व में पूरे देश में जमीनों के समान्य वितरण की योजना को पूरा किया गया।
दीनदयाल उपाध्याय
दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रवादी चिंतक माने जाते थे। दीनदयाल उपाध्याय ने मानव एकात्म वाद की एक नयी थ्योरी दी थी। दीनदयाल के विचारों पर वर्तमान में काफी रिसर्च से जुड़े काम किये जा रहे हैं।
मोरारजी देसाई
मोरारजी देसाई भी एक गांधी वादी नेता माने जाते थे। उन्होनें वर्षो तक आजादी की लड़ाई में संर्धष किया था। इंदिरा गांधी के साथ अनबन के बाद मोरारजी देसाई ने कांग्रेस को छोड़ दिया था। बाद में मोरारजी देसाई देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने थे।
कांशी राम
अंबेडकर के बाद कांशी राम देश के सबसे बड़े दलित चिंतक माने जाते है। कांशी राम ने पहले बामसेफ की स्थापना की बाद में उन्होने बहुजन समाज पार्टी का गठन किया। कांशी राम को उनके सादगी और राजनीति के धारा को बदलने वाला माना जाता है। कांशी राम मूल रूप से पंजाव से थे और उन्होने जिस पार्टी की स्थापना की वो पूरे देश में एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभर कर सामने आयी।
अटल विहारी वाजपेयी
अटल विहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमत्री बने उनके नेतृत्व में देश ने कारगिल के युद्ध में जीत दर्ज की थी। अटल विहारी वाजपेयी के कार्यकाल में ही भारत ने पोखरण में परमाणु परिक्षण किया था। अटल विहारी वाजपेयी को पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ के लोग सम्मान करते थे।
मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह को भारत की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करने वाला माना जाता है। मनमोहन सिंह देश के दो बार प्रधानमंत्री बने उनके कार्यकाल में देश को मनरेगा, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार जैसे कानून मिले। मनमोहन सिंह को एक अर्थशास्त्री के रूप में भी याद किया जाता है।