अमृतसर ।। वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों में अपना नाम घसीटे जाने के बाद बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने सिख समुदाय के गुरुओं से मामले में क्लीन-चिट हासिल करने के लिए पहल की है लेकिन उन्हें सिख समुदाय के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
अकाल तख्त के जत्थेदार गुरबचन सिंह के पास 28 नवंबर को अमिताभ ने लिखित अनुरोध भेजा था। इस पत्र में उन्होंने सिख-विरोधी दंगों में खुद को निर्दोष बताया है। यहां 22 दिसम्बर को सिख धर्म के पांच शीर्ष गुरु अमिताभ की इस याचिका पर चर्चा कर सकते हैं।
मुम्बई से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के सदस्य गुरिंदर सिंह बावा ने अकाल तख्त प्रमुख को यह पत्र सौंपा था। इससे पहले पिछले महीने में पंजाब सरकार ने उन्हें आनंदपुर साहिब में खालसा हेरीटेज कॉम्प्लेक्स के ‘विरासत-ए-खालसा’ स्मारक के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया था लेकिन सिख समुदाय के कुछ वर्गो की आपत्ति के कारण वह यहां नहीं पहुंच सके थे। इस घटना के बाद उन्होंने यह पत्र लिखा।
अमिताभ ने पत्र में लिखा है, “मैं बहुत दुखी हृदय के साथ आपको यह पत्र लिख रहा हूं। सन् 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद फौरन बाद सिखों के खिलाफ हुई हिंसा को भड़काने में मेरी संलिप्तता होने के सिख समुदाय के कुछ वर्गो द्वारा लगाए गए आरोप बेहद निराधार, गैर जिम्मेदार व आधारहीन हैं। इससे मुझे बहुत पीड़ा हुई है।”
अमिताभ ने खुद को निर्दोष बताने के लिए पत्र के साथ अपने सिख नाना-नानी की तस्वीर भी भेजी है और कहा है कि उनकी मां तेजी बच्चन सिख परिवार से थीं।
अकाल तख्त के प्रमुख गुरबचन सिंह ने पत्र मिलने की बात स्वीकार करते हुए कहा, “यह मुद्दा सिखों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। पांच सिख साहिबान (सिख धर्म के शीर्ष गुरु) अपनी बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। वे जो भी निर्णय लेंगे, हमारा अगला कदम उसी के मुताबिक होगा।”