हिंदुओं के पवित्र तीर्थधाम में से एक है अमरनाथ जहां स्वयं बर्फीली पहाडियों में भगवान शिव विराजते हैं। भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक अमरनाथ गुफा भी है। किवदंती है कि अमरनाथ गुफा में ही भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। इस पवित्र स्थान को अमरेश्वर भी कहा जाता है।
आज हम आपको अमरनाथ गुफा के बारे में कुछ रोचक जानकारी बताने जा रहे हैं।
अमरनाथ गुफा की खोज
मान्यता है कि इस गुफा की खोज एक बूटा मलिक नाम के मुस्लिम व्यक्ति ने की थी। वह दिनभर भेड़ बकरियां चराता था और एक दिन बहुत दूर जंगल में चला गया। जंगल में उसकी मुलाकात एक साधु से हुई जिसने बूटा मलिक को कोयले से भरी एक कांगड़ी दी। घर पहुंचकर बूटा को उस कांगड़ी में कोयले की जगह सोना मिला। जब वह साधु को इसका धन्यवाद करने गया तो वहां साधु की जगह एक विशाल गुफा को देखा। मान्यता है कि उसी दिन से वह स्थान तीर्थस्थल बन गया।
अमरत्व की गाथा
मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी। अगर कोई भी इस कथा को सुन ले तो वो अमर हो जाता है। अमरत्व सुनाने से पहले भगवान शिव ने सभी चीज़ों का त्याग कर दिया था। इस कथा को आरंभ करने से पूर्व सबसे पहले शिव ने पहलगाम में नंदी का त्याग किया और फिर चंदनबाड़ी में अपनी जटा से चंद्रमा को मुक्त किया। शेषनाग झील के पास ही अपने गले से सर्पों को उतारा और गणेश जी को महाइस कथगुणस पर्वत पर छोड़ा। अंत में पंचतरणी नामक स्थान पर भगवान शिव ने पांच तत्वों का परित्याग किया।
कबूतर हो गए अमर
जब भगवान शिव, मां पार्वती को ये कथा सुना रहे थे उस समय वहां पर मौजूद कबूतरों के दो जोड़े ने भी ये कथा सुन ली थी। ये दोनों शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए। कहा जाता है कि आज भी गुफा के पास कबूतरों के इस जोड़े को देखा जाता है। इन्हें अमर पक्षी माना जाता है।
अमरनाथ में बर्फ का शिवलिंग
गुफा के अंदर तो शिवलिंग पक्की बर्फ का बनता है लेकिन गुफा के बाहर मीलों तक कच्ची बर्फ दिखाई देती है। आज तक किसी को पता नहीं चल पाया है कि यहां पर पक्की बर्फ का शिवलिंग कैसे बनता है।
दूर-दूर से श्रद्धालु इस गुफा के दर्शन करने आते हैं। हर साल अमरनाथ की गुफा में बर्फ से बना ये शिवलिंग अपने आप ही तैयार हो जाता है। आश्चर्य की बात तो ये है कि हिमलिंग को तैयार करने के लिए यहां कोई जल स्रोत नहीं है तो फिर ये शिवलिंग बिना जल के अपने आप कैसे बन जाता है। सालों से इस बात का पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं।
ये हिमलिंग ठोस बर्फ से निर्मित है लेकिन हिमलिंग के आसपास जो बर्फ फैली है वो ठोस नहीं है।
अमरनाथ का रूट
अमरनाथ यात्रा के लिए पहले से ही रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। यात्रा के लिए पहलगाम से जत्थे बनकर रवाना होते हैं। श्रीनगर सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, यहां से 95 किमी की दूरी पर पहलगाम है। पहलगाम के समीप जम्मू रेवले स्टेशन पड़ता है। यहां से आपको टैक्सी–बस की सुविधा मिल जाएगी।
हेलिकॉप्टर से अमरनाथ यात्रा
अगर आप अमरनाथ की कठिन चढ़ाई नहीं कर सकते हैं तो आप हेलिकॉप्टर द्वारा भी अमनरनाथ गुफा तक पहुंच सकते हैं। इसके लिए आपको यात्रा पर निकलने से पहले ही पंजीकरण करवाना होगा।
अमरनाथ यात्रा पंजीकरण 2018
हर साल अमरनाथ गुफा की यात्रा सावन मास में शुरु होती है। इस बार अमरनाथ की यात्रा 28 जून, 2018 से आरंभ हो रही है और इसका रजिस्ट्रेशन 1 मार्च से ही शुरु हो चुका है।
अगर आप भी इस साल भगवान शिव के दर्शन पाना चाहते हैं तो अभी अपना पंजीकरण करवा लें। कहते हैं कि शिव के इस दरबार में मन की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं इसलिए आप भी यहां आकर अपने मन को तृप्त कर सकते हैं।
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