भय्यूजी महाराज उर्फ उदय सिंह देशमुख ने तनाव में आकर अपने आवास में खुद को 12 जून 2018 को गोली मार ली। घटना स्थल से मिले सुसाइड नोट में इस सुसाइड का कारण तनाव बताया गया है।
लेकिन अपने लाखों भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान के बल पर तनाव से बाहर निकालने वाले भय्यूजी खुद को तनाव में आकर गोली मार सकते हैं इस पर विश्वास करना थोड़ा असहज है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके दिग्विजय सिंह के अनुसार यह आत्महत्वा मानसिक प्रताड़ना के बाद उठाया गया कदम है, जिसकी जांच होनी चाहिए।
भय्यूजी महाराज की जीवनी
भय्यूजी महाराज की मृत्यु जितनी जटिल हुई उससे बहुत ही सरल उनका जीवन था। यही कारण है कि इनके संबंध सभी के साथ मधुर थे और राजनीतिक दलों व दूसरे संगठनों के साथ भी इनका रिश्ता काफी करीबी था। आप यह जानकर दंग रह जाएंगे कि आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले इस संत अपने युवा काल में करियर की शुरूआत मॉडलिंग से की।
19 अप्रेल 1968 में भय्यूजी का जन्म इंदौर में हुआ था। संत बनने से पहले इनका नाम उदय सिंह देशमुख था। एक संभ्रांत परिवार में पैदा होने के बाद उदय सिंह ने मॉडलिग के अपना करियर बनाया और कई अच्छे ब्रांड के लिए मॉडलिंग भी की।
हुई थी 2 शादियां
इनकी दो शादियां हुई। पहली पत्नी के देहांत होने के कई वर्षों बाद 49 साल की उम्र में वर्ष 2017 में इन्होंने दूसरा विवाह किया। इनकी एक बेटी है। भय्यूजी के ऊपर उनकी दूसरी शादी के दिन एक महिला ने आरोप लगाए कि उन्होंने इन्हें धोखा दिया है और शादी का वादा करके अब किसी और से शादी कर रहे हैं। हालांकि सामाजिक प्रतिष्ठा रखने वाले भय्यूजी पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
ग्लेमर की दुनिया से निकल कर भय्यूजी ने आध्यात्क की राह तो पकड़ ली लेकिन लग्जरी गाडि़यां और घडि़यां अभी भी उनकी जिन्दगी का हिस्सा बनी हुई थीं। अपनी बहुत साफ सुथरी छवि के साथ भय्यूजी ने महाराष्ट्र में मंदिरों का पुर्ननिर्माण कराया। इनके महत्वपूर्ण योगदान में महाराष्ट्र के गांवों में पानी के संचय और अत्याधुनिक खेती की नई तकनीक को पहुंचाना है।
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भय्यूजी खुद को भगवान दत्तात्रेय का भक्त मानते थे। इन्हें युवा राष्ट्र संत का नाम भी दिया गया था। अपने सामाजिक और धार्मिक कार्यों के कारण महाराष्ट्र में इनकी काफी प्रतिष्ठा थी। इन्हीं कार्यों के कारण इनके कई भक्त भी बने।
मीडिया ने सबसे पहले भय्यूजी को तब कवर किया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री होने के समय इन्हें गुजरात आमंत्रित किया। इस समय भय्यूजी ‘सद्भावना उपवास’ की तैयारी कर रहे थे। देश के कई बड़ी हस्तियां भय्यूजी के इंदौर आश्रम में जाया करती थीं। इनमें से कुछ नाम पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, शरद पवार, लता मंगेशकर, राज ठाकरे, उधव ठाकरे, आशा भोसले, नितिन गढकरी, देवेंद्र फर्डवीस, गोपीनाथ मुंडे हैं। विलास राव देशमुख और सुशील कुमार शिंदे जैसी राजनीतिक हस्तियां इनसे आध्यात्मिक ज्ञान लेने आते थे। इतने राजनेताओं के साथ संबंध होने के बाद भी इन्होंने कभी राजनीति की ओर अपनी रुचि नहीं दिखाई।
भय्यूजी सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आए जब अन्ना हजारे ने लोकपाल की मांग को लेकर मौजूदा कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इस दौरान भय्यूजी ही वह व्यक्ति थे जो कांग्रेस सरकार और अन्ना हजारे के बीच मध्यहस्तता कर रहे थे। अन्ना हजारे उस समय बड़ी हस्ती बन चुके थे और उनकी एक आवाज पर लोगों का हुजूम साथ चलने के लिए आ जाता था। ऐसे में भय्यूजी ही वो शख्स थे जिसने अन्ना हजारे को जूस पिलाकर उनका उपवास तुड़वाया था। इसके बाद उन्हें अन्ना हजारे के साथ कई मंच को साझा करते हुए देखा गया।
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हाल ही में बीजेपी की मध्य प्रदेश सरकार ने भय्यूजी समेत तीन अन्य संतो कंप्यूटर बाबा, नर्मादानंद और पंडित योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री का दर्जा देने की पेशकस की थी। लेकिन दूसरे संतों से अलग भय्यूजी ने मंत्री पद लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं किसी एक दल या एक संप्रदाय का नहीं हूं और यही भय्यूजी की पहचान थी।
असमय इस तरह से देह का त्याग करना उनके लाखों फॉलोवर्स के लिए किसी आघात से कम नही है। उन्होंने जाने से पहले अपनी सारी सम्पति विनायक नाम के सेवादार को सौंप दी। पारिवारिक कलह इस संत को आत्महत्या करने को मजबूर कर देगी यह किसी ने सोचा भी नहीं होगा।