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गोविंदा को मिला सबक!

नई दिल्ली ।। बॉलिवुड अभिनेता गोविंदा स्वीकार करते हैं कि हाल ही में प्रदर्शित हुईं उनकी कुछ फिल्में बॉक्सऑफिस पर कोई कमाल नहीं कर सकीं और इसकी वजह उनका सही ढंग से प्रचार न होना रही। उन्होंने कहा कि समय बदल गया है और प्रचार आज की जरूरत बन गया है।

गोविंदा ने 1986 में अपना फिल्मी करियर शुरू किया था। उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया लेकिन सफलता न मिलने पर अभिनय की दुनिया में उन्होंने अपनी दूसरी पारी शुरू की है।

सैंतालीस वर्षीय गोविंदा ने कहा, “अब प्रचार किसी भी फिल्म का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। यह एक महत्वपूर्ण तत्व है। यही वजह है कि मेरी पहले की फिल्में सफल नहीं हो सकीं।”

उन्होंने कहा, “अब हमें प्रचार का ध्यान रखना पड़ता है। पहले यह फिल्म निर्माण का हिस्सा नहीं होता था। मैं हमेशा सोचता था कि शूटिंग पूरी होने के बाद मेरा काम खत्म हो गया लेकिन अब आपको फिल्म के लिए स्वीकृति देने से लेकर उसके पर्दे पर उतरने तक काम करना पड़ता है। यह बताना बहुत महत्वपूर्ण है कि आप क्या कर रहे हैं और दूरदराज के इलाकों में भी दर्शकों तक पहुंचना महत्वपूर्ण है। फिल्म का प्रचार एक मुश्किल काम है लेकिन यह आज की जरूरत बन गया है।”

उन्होंने कहा, “मैंने अपने करियर की शुरुआत इस विचार के साथ की थी कि मुझे ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना था। जब मुझे भूमिकाएं मिलनी शुरू हुईं तो मेरी पहली प्राथमिकता पैसा थी। एक बच्चे के रूप में मैंने कभी भी पैसा नहीं देखा।”

गोविंदा ने कहा, “मेरे लिए सिनेमा में कला या उसमें सितारे जैसी छवि होने का कोई मतलब नहीं था। मेरे दिमाग में सिर्फ दो बातें थीं, पैसा कमाना और अपनी मां को खुश रखना। इसलिए भूमिका चाहे नकारात्मक हो, हास्यप्रधान हो या मुख्य भूमिका हो, इन बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था। मैं सिर्फ पैसे के विषय में सोचता था लेकिन बाद में धीरे-धीरे मैंने सिनेमा को सराहना शुरू किया।”

गोविंदा ने 1986 में आई ‘इल्जाम’ से अभिनय की शुरुआत की थी। उन्होंने ‘लव 86’, ‘घर घर की कहानी’, ‘हलाल की कमाई’, ‘आंखें’, ‘राजा बाबू’, ‘कुली नं 1’ व ‘हीरो नं. 1’ जैसी फिल्मों सहित 120 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया है।

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