तिरूवनंतपुरम ।। एक समय था जब लोगों के बॉलीवुड के ख्वाब देखने पर आपत्ति जताई जाती थी। कोई फिल्मी दुनिया में काम करना चाहे तो उसके प्रति चिंता जताई जाती थी। अब लोगों की फिल्मोद्योग को लेकर राय बदल गई है। फिल्मकार प्रियदर्शन कहते हैं कि अब पढ़े-लिखे लोग बॉलीवुड में अपना करियर बना रहे हैं।
प्रियदर्शन ने कहा, “उस समय लोगों में फिल्मोद्योग को लेकर गलत धारणाएं थीं लेकिन वर्तमान में इसे एक व्यवसाय के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। अब उच्च शिक्षित लोग बॉलीवुड में प्रवेश कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि आज किसी छात्र को किसी चिकित्सा कॉलेज में प्रवेश आसानी से मिल जाता है जबकि किसी प्रतिष्ठित फिल्म निर्माण इंस्टीट्यूट में प्रवेश मिलना मुश्किल होता है।
खुद 54 वर्षीय प्रियदर्शन ने भी जब फिल्मी दुनिया में करियर बनाने का निर्णय लिया तो उन्हें भी अपने पिता के विरोध का सामना करना पड़ा था।
वह याद करते हुए बताते हैं, “जब मैंने फिल्मों में कदम रखा तो मेरे पिता बहुत परेशान थे क्योंकि वह अक्सर मुझसे कहा करते थे कि मेरी बहनों के भविष्य का क्या होगा।”
प्रियदर्शन ने सबसे पहले 1984 में ‘पूचाक्कोरू मूक्कुथी’ से निर्देशन की शुरुआत की थी। यह फिल्म सफल रही थी।
अपने तीन दशक के फिल्मी करियर में प्रियदर्शन न केवल मलयालम फिल्मोद्योग में मशहूर हुए बल्कि उन्होंने तमिल, तेलुगू फिल्मोद्योग व बॉलीवुड में भी अपनी जगह बनाई। उन्हें 2009 में तमिल फिल्म ‘कांचीवरम’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
उन्होंने 1992 में ‘मुस्कुराहट’ से बॉलीवुड में निर्देशन की शुरुआत की। बाद में फिल्म ‘गर्दिश’ बनाई। फिल्म ‘विरासत’ से उन्होंने बॉलीवुड में अपना मुकाम हासिल किया। बाद में उन्होंने ‘हेरा फेरी’, ‘ढोल’ और ‘भूल भुलैया’ जैसी फिल्में बनाईं।
केरल स्टेट चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष प्रियदर्शन अब केरल में सिनेमा और सिनेमाघरों की स्थिति सुधारने के काम में व्यस्त हैं।