Home देश रिलायंस इंडस्ट्रीज ने गैस समझौते के उल्लंघन से किया इंकार

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने गैस समझौते के उल्लंघन से किया इंकार

नई दिल्ली ।। मुकेश अम्बानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज [आरआईएल] ने कहा कि कृष्णा गोदावरी बेसिन में सरकार के साथ उत्पादन बंटवारा समझौते का उसने उल्लंघन नहीं किया है और समझौते के सभी प्रावधानों का पालन किया गया है।

गुरुवार को संसद में पेश की गई भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक [सीएजी] की रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कृष्णा-गोदावरी बेसिन में उत्पादित गैस के बंटवारे के लिए सरकार के साथ हुए समझौते का उल्लंघन किया है और सरकार को उसकी हिस्सेदारी नहीं दी।

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादन बंटवारा समझौते के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज को आवंटित क्षेत्र में से 25 प्रतिशत सरकार को देना था। लेकिन इसे पूरे क्षेत्र को अपने पास रखने की अनुमति दी गई जैसे कि इसने ही क्षेत्र को ढूंढ़ा हो।

उधर रिलायंस इंडस्ट्रीज ने समझौते का उल्लंघन करने से इंकार किया है।

कम्पनी ने एक बयान में कहा, “केजी डी6 क्षेत्र में आरआईएल ने परियोजना को बेहतर तरीके से अंजाम देने का एक मानदंड स्थापित किया है। एक ठेकेदार के तौर पर हम समझौते के प्रावधानों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं।”

रिपोर्ट आते ही बम्बई स्टॉक एक्सचेंज में रिलायंस के शेयरों में तेज गिरावट देखी गई थी, लेकिन कारोबार की समाप्ति पर कम्पनी के शेयर 2.62 फीसदी की तेजी के साथ 853.50 रुपये पर बंद हुए।

कम्पनी के शेयर दोपहर तक पिछले दिन के बंद स्तर से 2.12 फीसदी नीचे 814 रुपये तक चले गए थे। हालांकि बाद में इसमें तेजी आई।

सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार और निगरानी संस्था भी अपनी ही व्याख्याओं से मुकर गए, जिसमें कहा गया था कि 25 प्रतिशत हिस्सा सरकार को देना आवश्यक होगा।

रिपोर्ट में कहा गया, “फरवरी 2009 में केंद्र सरकार ने भी 7,645 वर्ग किलोमीटर के पूरे समझौता क्षेत्र को खोजी क्षेत्र के रूप में मान्यता दे दी, जिसके बाद कम्पनी ने सरकार के लिए 25 प्रतिशत क्षेत्र छोड़ने के समझौते की उपेक्षा की।”

रिपोर्ट में अप्रैल 2006 से दो वित्तीय वर्षो का उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि तेल नियामक को समझौते के उल्लंघन के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज को उत्पादन के अगले चरण की प्रक्रिया से रोक देना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी कम्पनियों के साथ उत्पादन साझेदारी से सम्बंधित समझौतों के निरीक्षण में तेल मंत्रालय और निदेशालय सक्षम नहीं रहे। नियमन सम्बंधी काम स्वायत्त इकाई द्वारा किया जाना चाहिए।

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