भारत और चीन के बीच रिश्तों में कुछ सुधार हुआ तो मौका देखकर चीन ने भारत से उसकी ‘वन चाइना पॉलिसी’ में भारत का समर्थन मांगा है।
वास्तव में ‘वन चाइना पॉलिसी’ में चीन ताइवान को चीन का हिस्सा कहता है। जिस तरह से हांगकांग और मकाऊ चीन के अधिकार क्षेत्र में आते हैं उसी तरह से इस पॉलिसी के तहत ताइवान को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता है।
लेकिन ताइवान इससे उलट खुद को स्वतंत्र देश कहता है।
इस मुद्दे पर चीन को भारत का सहयोग चाहिए जिसके लिए चीन ने अब एक तरह से आग्रह किया है। जिसके जवाब में भारत की तरफ से दो टूक जवाब दिया गया और शर्त रखी कि पहले चीन अपने सारे ऐसे प्रोजेक्ट को बंद करे जिससे भारत की संप्रभुता को खतरा है जैसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चल रहा चीन का प्रोजेक्ट और चाइना-पाकिस्तान ईकोनोमिक कॉरिडोर शामिल है।
भारत की इस मांग पर चीन की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया। इसी कारण से चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पर भारत ने अपना विरोध जताया हुआ है।
अब प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिंग पिंग 9 जून को मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात इस मायने में बहुत महत्वपूर्ण होगी कि क्या चीन दक्षिण एशिया में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए जो कोशिशें कर रहा है वो उसे सिर्फ ताइवान के रोकेगा या नहीं।