श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका का प्रमुख और सबसे लोकप्रिय मंदिर है द्वारकाधीश मंदिर। इस मंदिर को जगत मंदिर यानि ब्रह्मांड मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसका मुख्य मंदिर 2500 वर्ष प्राचीन है और इसका निमार्ण श्रीकृष्ण के पड़ पोते वज्रनाभ ने करवाया था।
द्वारिका का समुद्र में लीन होना
महाभारत काल में गांधारी द्वारा श्रीकृष्ण को दिए गए श्राप के कारण भगवान कृष्ण द्वारा बसाई गई पूरी द्वारिका नगरी समुद्र में डूब गई थी। कहा जाता है कि उसी नगरी में इस मंदिर का निर्माण किया गया था।
द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास
मंदिर के आसपास की अन्य कलात्मक संरचनाओं का निर्माणा 16वीं शताब्दी में करवाया गया था। 43 मीटर ऊंचे इस मंदिर के शिखर पर एक विशाल ध्वज लगा हुआ है जिस पर सूर्य और चंद्रमा बने हुए हैं। इस ध्वज को 10 किमी की दूरी से भी देखा जा सकता है। मंदिर में दो द्वार हैं जिन्हें स्वर्ग द्वार और मोक्ष द्वार कहा जाता है।
मुख्य मंदिर से 2 किमी दूर एकांत में रुक्मिणी का मंदिर भी है। किवदंती है ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण उन्हें श्रीकृष्ण से दूर एकांत में रहना पड़ा था। इस मंदिर को चार धाम की यात्रा में से एक माना जाता है।
द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन का समय
भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए द्वारकाधीश मंदिर के कपाट सुबह 7 बजे से राज 9.30 तक खुले रहते हैं। दोपहर 12.30 बजे से शाम 5 बजे तक मंदिर के द्वार बंद रहते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर की आश्चर्यजनक बातें
- मंदिर के गर्भगृह में चांदी के सिंहासन पर भगवान कृष्ण की श्यामवर्णी चतुर्भुजी प्रतिमा विराजमान है। यहां पर उन्हें रणछोड़ जी के नाम से भी जाना जाता है।
- मंदिर के दक्षिण में गोमती धारा पर चक्रतीर्थ घाट है जिससे कुछ ही दूरी पर अरब सागर है। यहां समुद्रनारायण मंदिर भी स्थित है।
- कई लोग गोमती धारा में स्नान कर मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं। यहां से 56 सीढियां चढ़कर स्वर्ग द्वार से मंदिर में प्रवेश किया जाता है।
- यह स्थान द्वापर युग में भगवान कृष्ण की राजधानी हुआ करता था और आज कलियुग में भक्तों के लिए महातप तीर्थ है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वारका शहर श्रीकृष्ण द्वारा भूमि के एक टुकड़े पर बनाया गया था जिसे समुद्र से पुन: प्राप्त किया गया था।
कैसे पहुंचे द्वारकाधीश मंदिर
हवाई यात्रा से द्वारकाधीश मंदिर पहुंचने के लिए मंदिर से 45 किमी दूर जामनगर एयरपोर्ट सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। गुजरात शहर भारत के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट से मंदिर के लिए बस या टैक्सी ली जा सकती है।
गुजरात में जहां पर ये द्वारकाधीश मंदिर स्थित है उस स्थान को स्वयं भगवान कृष्ण ने बसाया था। अगर आप स्वयं ईश्वरीय शक्ति का आभास करना चाहते हैं तो चार धाम में से एक इस पवित्र धाम के दर्शन करने जरूर आएं। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान कृष्ण के दर्शन मात्रा से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है और सारे पाप धुल जाते हैं। अगर आपकी कोई मनोकामना अधूरी रह गई है तो आप भी उसकी पूर्ति के लिए इस मंदिर में दर्शन करने आ सकते हैं।
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