भारत की चुनावी राजनीति में एक से एक रिकॉड बनते व बिगड़ते रहे है। कभी किसी नेता ने लगभग 7 लाख मतों से चुनाव जीता है तो कभी किसी नेता ने 5 लाख मतों से चुनाव जीतकर रिकॉड बनाया है। भारत के संसदीय इतिहास के ऐसे ही रोचक तथ्य को आइये जानते हैं।
भारत मे गुप्त मतदान की प्रक्रिया होती है। लेकिन चुनाव में कभी-कभी जनता का प्यार थोक भाव में नेताओं को मिल जाता है। ऐसे ही कुछ नेता की चर्चा हम यहां कर रहे हैं।
प्रीतम मुंडे- बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी प्रीतम मुंडे अपने पिता की मौत के बाद चुनाव में उतरी थी। उन्होने लगभग 7 लाख मतों से इस चुनाव में जीत दर्ज करी थी | प्रीतम ने ६ लाख 96 हजार मतों से कांग्रेस के उम्मीदवार को हराया था। गोपीनाथ मुंडे बीजेपी के वरिष्ठ नेता माने जाते थे। 2014 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद दिल्ली में एक कार दुर्घटना में गोपीनाथ मुंडे की मौत हो गयी थी। प्रीतम मुंडे ने जब यह रिकॉड बनाया तब वह मात्र 31 वर्ष की थी।
अनिल बसु- अनिल बसु मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता हैं। 2004 के चुनाव में अनिल बसु के उपर जनता ने जमकर प्यार लुटाया था। इस चुनाव में अनिल बसु पश्चिम बंगाल के आरमबाग संसदीय सीट से लगभग 5 लाख 92 हजार 502 मतों से जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में उन्हें मिली यह जीत भारत के संसदीय इतिहास की अबतक की सबसे बड़ी जीत रही है।
नरेंद्र मोदी- नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनाव में गुजरात के वड़ोदरा से 5 लाख 70 हजार मतों से चुनाव में जीत दर्ज की थी । नरेंद्र मोदी ने चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार मधूसूदन मिस्त्री को हराया था। इस चुनाव में मधूसूदन मिस्त्री को लगभग 3 लाख वोट मिले थे। नरेंद्र मोदी ने 8 लाख से अधिक वोट इस चुनाव में प्राप्त किये थे | वारणसी से भी चुनाव जीतने के कारण नरेंद्र मोदी को किसी एक सीट पर त्यागपत्र देना था। नरेद्र मोदी ने बड़ोदरा सीट से त्यागपत्र दे दिया था।
जनरल वी के सिंह- देश के पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद सीट से 2014 के चुनाव में 5 लाख 67 हजार मतों से चुनाव में जीत दर्ज की थी। इस चुनाव के बाद उन्हें केंद्र में मंत्री भी बनाया गया। इस चुनाव में कांग्रेस के राज बब्बर सहित बाकी सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी थी। उत्तर प्रदेश की यह सीट देश की राजधानी दिल्ली से सटी हुई है।
रामविलास पासवान- कई बार केंद्र में मंत्री रह चुके रामविलास पासवान ने वर्ष 1989 में हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से 5 लाख 2 हजार मतों से चुनाव में जीत दर्ज की थी। रामविलास पासवान ने इससे पहले 1977 में भी रिकॉड 4 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। रामविलास पासवान कई बार केंद्र में मंत्री बने। रामविलास पासवान 9 बार सांसद भी बने। हाजिपुर सीट को उनका परंपरागत सीट माना जाता है।
सीएम चांग- 2009 के आम चुनाव में नागालेंड पिपुल्स पार्टी के सीएम चांग ने 4 लाख 83 हजार मतों से जीत दर्ज की थी। यह अब तक के भारतीय संसदीय इतिहास में पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी चुनावी जीत थी। इतनी बड़ी जीत भारतीय लोकतंत्र की मजबूती को दिखाती है।
संतोष मोहन देव- संतोष मोहन देव ने वर्ष 1991 के आम चुनाव में त्रिपुरा पश्चिम से चुनाव लड़ते हुए 4 लाख 28 हजार मतों से चुनाव में जीत दर्ज की थी। पूर्वोत्तर भारत में इतने मतों से चुनाव जीतने वाले वो पहले नेता थे । संतोष मोहन देव के सामने खड़े सभी प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गयी थी।
एनवीएन सोमू- 1996 के लोकसभा चुनाव में DMK पार्टी के एनवीएन सोमू ने मद्रास उत्तर सीट से लगभग 3 लाख 89 हजार मतों से चुनाव में जीत दर्ज की थी। तमिलनाडु में ये एक रिकॉड था। इस चुनाव में उन्होने AIDMK के नेता को हराया था।
राम जी भाई कठीरिया- वर्ष 1998 के चुनाव में गुजरात के राजकोट लोकसभा क्षेत्र से राम जी भाई कठीरिया ने लगभग 3 लाख 54 हजार मतों से चुनाव में जीत दर्ज की थी। राम जी भाई कठीरिया ने कांग्रेस के उम्मीदवार को हराया था।
भारत में जैसे-जैसे जनसँख्या बढ़ती जा रही है सभी लोकसभा क्षेत्रों के मतदाताओं की संख्या में काफी तेजी देखनें को मिल रही है। वर्ष 2026 तक पूरे देश मे लोकसभा सीटों का परिसीमन नहीं करवाया जाएगा। साथ ही लोकसभा के सीटों की संख्या भी नहीं बढ़ाई जाएगी ऐसे हालत में आने वाले चुनावों में और भी ऐसे चौकाने वाले नतीजे देखने को मिल सकेंगे।