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फिल्म समीक्षा: ‘मोड़’

फिल्म –  ‘मोड़’

मुख्य कलाकार – आयशा टाकिया , रणविजय सिंह , रघुबीर यादव , तन्वी आजमी

निर्देशक – नागेश कुकनूर

निर्माता – सुजीत कुमार सिंह 

फिल्म की कहानी – 23 साल की अरण्या ( आयशा ) शहर से दूर गंगा नाम के हिल स्टेशन के पास बसे एक गांव में रहती हैं। अरण्या की मां बचपन में ही उसे और उसके पिता को छोड़कर अपने सपनों को पूरा करने चली गई। अरण्या के पिता सिंगर किशोर कुमार के जबर्दस्त फैन हैं और उन्होंने अपनी उम्र के अपने 4-5 दोस्तों के साथ मिलकर किशोर कुमार फैन क्लब बना रखा है। अरण्या के पिता को शराब पीने की बुरी लत है , इसी वजह से अरण्या उन्हें अपने घर में नहीं रहने देती। अरण्या की मां घर में वॉच रिपेयरिंग की छोटी सी दुकान चलाती थीं। अब अरण्या भी इस काम को करके घर का गुजारा करती है। एक दिन अरण्या की दुकान पर एंडी नाम का सीधा – सादा शर्मीला युवक अपनी घड़ी ठीक कराने आता है। फिर वह जानबूझकर अपनी घड़ी को खराब करके फिर अरण्या के पास पहुंच जाता है। चंद मुलाकातों के बाद अरण्या उससे प्यार करने लगती है। कुछ अर्से बाद उसे पता चलता है एंडी तो बरसों पहले मर चुका है।

अभिनय –  फिल्म में आयशा टाकिया का परफॉरमेंस काफी अच्छा है। रणविजय और रघुबीर कमजोर किरदार होने के बावजूद अपनी छाप छोड़ते हैं। 

फिल्म का प्रस्तुतिकरण –  ‘मोड़’ साल 2007 की ताईवानी फिल्म ‘कीपिंग वॉच’ की हिन्दी रीमेक है। नागेश ने एक बार फिर कहानी को सिंपल ढंग से पेश किया है। पिछली फिल्मों की तरह इस बार भी बेस्ट लोकेशन और फोटोग्राफी फिल्म का अहम किरदार रही। कहानी पेश करने का बेहद सुस्त अंदाज यंगस्टर्स और एंटरटेनमेंट के शौकीनों को शायद ही पसंद आए। 

संगीत – फिल्म का संगीत दिया है तपस रेलिअ। म्यूजिक फिल्म के माहौल पर फिट है पर ऐसा कोई गाना नहीं है जो सिनेमा से बाहर आकर याद रह सके। 

हमारी राय –  ‘मोड़’ इत्मीनान से और दिल से फिल्म देखने वालों के लिए है। वीकएंड पर मौज – मस्ती और एक्शन के शौकीनों के लिए फिल्म में कुछ नहीं है।

[ कुलवीर ]

 

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