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बुखार कैसा भी हो भुने नमक का डोज लीजिए

Hindi7.com ।। बुखार एक ऐसी बीमारी है, जो हर आयु वर्ग के लोगों को अपना शिकार बनाने का आदि है। यह सेहत से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जो हर किसी को किसी न किसी बहाने और किसी न किसी रूप में होते ही रहता है। कभी साधारण बुखार, तो कभी वायरल बुखार, तो कभी घातक मलेरिया के रूप में यह हमारे ऊपर हमला करता है।

साधारण बुखारों में तो हम आसानी से इसके चंगुल से बाहर निकल आते हैं, लेकिन जब यह मलेरिया और मियादी के रूप में आता है, तो हमें कठीन परेशानी में डाल देता है। यह कई दिनों तक जाने का नाम ही नहीं लेता और धीरे-धीरे हमें कमजोर भी कर देता है। ऐसे में इसका सही समय पर उचित उपचार लेना जरूरी हो जाता है।

बहरहाल, जो भी हो हम आपको एक ऐसा रामबाण बताने जा रहे हैं, जिसे आजमा कर आप किसी भी तरह के बुखार को भगा सकते हैं। यह एक तरह से बुखारों का रामबाण है। फिर भी हम इतना जरूर कहेंगे कि अगर इस रामबाण से भी आपका बुखार छूमंतर नहीं होता है, तो किसी डॉक्टर से जरूर अपना इलाज कराएं।

भुना नमक है बुखार का रामबाण — जिस साधारण नमक का इस्तेमाल हम अपने खाने में करते हैं, उसे लोहे के तवे पर डालकर धीमी आंच में उलट-पलट कर गर्म करें। गर्म करते रहने से इस सादे नमक का रंग कॉफी के जैसा काला भूरा हो जाएगा। जब सादे नमक का रंग ऐसा हो जाए, तो आग को बंद कर तवे को उतार लें और ठंडा होने के लिए छोड़ दें। जब यह ठण्डा हो जाए, तो इसे अपनी सुविधा के अनुसार किसी कांच के बोतल या शीशी में भरकर रख लें।

अब, जब कभी आपको लगे कि बुखार आनेवाला है या आने के लक्षण प्रतीत हो रहे हों, तो इसके आने से पहले भुने हुए नमक को एक चाय चम्मच के अनुपात में लेकर एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर पी लें। जब आपका बुखार उतर जाए, तो एक चम्मच और भुने नमक को गर्म पानी में घोलकर पी लें। अब आपका बुखार पलटकर नहीं आएगा।

भुने नमक के नुस्खे के लिए कुछ जरूरी चेतावनियां

● अगर आपको हाई ब्लड-प्रेशर की बीमारी है, तो इस नुस्खे को आजमाने की सोचें भी नहीं।

● इस नुस्खे को जरूर लें, लेकिन साथ में चिकित्सक की भी सलाह लेते रहें।

● इस नुस्खे को हमेशा एक दम खाली पेट में आजमाएं और इसके बाद कुछ भी खाने की चेष्टा न करें। इस दौरान अगर रोगी को ठंड लग रहा हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

● रोगी को प्यास लग रहा हो, तो पानी को गर्म करके और फिर उसे ठंडा करके दें।

● इस नुस्खे के तहत जिस रोगी का उपचार हो रहा हो, उसे दस घंटे तक कुछ भी खाने को न दें। दस घंटे बितने के बाद रोगी को दूध, चाय, दलिया जैसी चीजें बनाकर दें।

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