संयुक्त राष्ट्र संघ ने जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार को लेकर अपनी एक रिपोर्ट दी है। गुरूवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में यूएन ने जो बयान दिया उसको लेकर भारत ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है।
अपनी इस रिपोर्ट में यूएन ने भारत पर आरोप लगाए हैं कि वह कश्मीर में मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन कर रहा है। यूएन ने कहा कि हमारी जांच में यह सामने आया है कि भारत और पाकिस्तान शासित कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन बहुत ज्यादा हो रहा है।
यूएन ने लगाए भारत पर गंभीर आरोप
संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकारों के उच्चायुक्त जायद बिन राड अल हुसैन ने यह बयान 14 जून को दिया। उन्होंने इसके अलावा चेतावनी के रूप में यह भी कहा कि अगले हफ्ते मानवाधिकार काउंसिल के नए सत्र में वह इस बात के लिए सिफारिश करेंगे कि जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार के हनन की जांच करने के लिए एक जांच आयोग का गठन हो। अगर आयोग के विषय पर जायद बिन अल हुसैन की बात सुनी गई तो जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर मानवाधिकार उल्लंघन की स्वतंत्र जांच होना संभव है।
भारत की प्रतिक्रिया:
भारत ने जायद बिन के इस बयान पर बहुत तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि यह भारत की संप्रभुता पर हमला है और इसे हम बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेंगे। भारत के विदेश मंत्रालय से भी इस पर प्रतिक्रिया दी गई।
यहां से जारी बयानन में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट आधी अधूरी जानकारी पर तैयार की गई है। इसे सुनने से ही पता लग जाता है कि यह कितने पूर्वाभास के साथ तैयार की गई है। विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को ‘झूठा ब्योरा’ कहा है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:
इससे बिल्कुल उलटा पाकिस्तान ने अपने ऊपर लगे आरोप को पीछे रखते हुए भारत के खिलाफ आई इस रिपोर्ट का स्वागत किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से जारी बयान में उन्होंने कहा कि हम इस रिपोर्ट का स्वागत करते हैं और अब हमें उम्मीद है कि कश्मीर की जनता को न्याय मिलेगा। अपने ऊपर लगे आरोप को लेकर पाकिस्तान ने कहा कि भारत शाषित कश्मीर की तुलना पाकिस्तान शाषित कश्मीर से नहीं की जा सकती।
चलिए अब समझते हैं कि इस संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में क्या है:
इस रिपोर्ट के अनुसार भारत ने कश्मीर में जरूरत से ज्यादा सुरक्षा बल लगाया हुआ है। 2016 के बाद से यहां काफी आम नागरिकों की जान जा चुकी है। पाकिस्तान के साथ संबंध अच्छे ना होने के कारण भारत के उससे संबंध अच्छे नहीं हैं और कई बार युद्ध की नौबत भी आ चुकी है। इसका खामियाजा पूरी तरह से कश्मीर की जनता को भुगतना पड़ता है।
यूएन ने पाकिस्तान को भी इस मुद्दे पर नसीहत दी है कि वह आतंकवाद विरोधी कानून का इस्तेमाल शांति से किए जाने वाले विरोध को दबाने के लिए न करे।
इस रिपोर्ट में भारत प्रसाशित जम्मू-कश्मीर पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें पिछले दो साल की घटनाओं का जिक्र है। रिपोर्ट में दिए आंकड़ों के अनुसार इस दो साल के मध्य में भारत प्रशासित कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथों 130 से 145 लोगों की जान गई है। वहीं चरमपंथी हमलों में सिर्फ 20 लोग मारे गए हैं।
रिपोर्ट में यह भी जिक्र हुआ कि सेना को विशेषाधिकार मिले हैं जिससे यहां हो रही हत्यांआके की जांच भी नहीं हो पाती। इस रिपोर्ट में कश्मीर में सामूहिक कब्रों की जांच करने की बात भी कही।
भारत ने पूछे यूएन से सवाल:
भारत ने संयुक्त राष्ट्र से पूछा है कि आखिर इस रिपोर्ट के पीछे की मंशा क्या थी। भारत एक लंबे समय से पाकिस्तान में चल रहे ट्रेनिंग कैंप और वहां से कश्मीर में भेजे जा रहे आतंकवादियों के खिलाफ शिकायत करता आया है। इस पर यूएन की तरफ से कोई रिपोर्ट तैयार नहीं की।
भारत ने यह भी कहा कि यह बहुत तकलीफ देने वाली बात है कि यूएन जैसी संस्था ने इस रिपोर्ट में खुद के प्रतिबंदित गुटों को ‘हथियार बंद समूह’ कहा है और चरमपंथियों को ‘नेता’ कहा है। ये बातें तब हुई है जब यूएन पूरी दुनिया को संदेश दे रही है कि आतंकवाद से सख्ती से निपटा जाए।
खुश हुए अलगावादी:
यूएन की इस रिपोर्ट पर वहां के अलगाववादी नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है। मानवाधिकार कार्यकार्ता खुर्रम परवेज ने अपना बयान देते हुए कहा कि अब कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन पर किसी का ध्यान गया है यह बहुत अच्छा है। साथ ही मीरवाइज फारूख ने भी यूएन की इस रिपोर्ट का स्वागत किया और ट्वीट करके संयुक्त राष्ट्र को अपना शुक्रिया अदा किया।