भारत सरकार द्वारा जमात-ए-इस्लामी नामक संगठन पर 5 साल के लिए बैन लगाया गया है |आपको बता दें की हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में बड़े स्तर पर फंडिंग करने वाले जमात-ए-इस्लामी पर कार्रवाई शुरू हो गई है और जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है|
क्या है जमात-ए-इस्लामी?
आज़ादी से पहले 1941 में एक संगठन की नींव पड़ी, जिसका नाम जमात-ए-इस्लामी रखा गया | जमात-ए-इस्लामी का गठन इस्लामी धर्मशास्त्री मौलाना अबुल अला मौदुदी ने किया था और यह इस्लाम की विचारधारा को लेकर काम करता था |
1971 से इसने राजनीति में प्रवेश किया | पहले चुनाव में इस संगठन को एक भी सीट नही मिली लेकिन आने वाले चुनाव मे इसने काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया और राजनीति मे अपनी एक अहम जगह बनाई | हालांकि अब इसे जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख जिम्मेदार संगठन माना जाता है |
माना जाता है कि यह आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का दाहिना हाथ है और इस संगठन ने हिजबुल मुजाहिदीन की हर तरह से सहायता करी|
लेकिन आज केंद्र सरकार ने ये बड़ा फ़ैसला लिया है जिसके चलते जमात-ए-इस्लामी की जम्मू और कश्मीर में 52 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति सील कर दी गयी है और 70 से ज्यादा परिसरों की पहचान की गई है जिसमें कई शैक्षणिक संस्थाएं, दफ्तर, स्कूल भी शामिल हैं | सिर्फ़ इतना ही नही पाकिस्तान के संरक्षण से फल-फूल रहे हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों को ट्रेंड करना, फंडिंग करना, शरण देने समेत आने-जाने की सुविधा मुहैया कराना जैसे काम जमात-ए-इस्लामी संगठन कर रहा था |
सूत्रों के हवाले से पता चला है इसके बाद अगला नंबर हुर्रियत का हो सकता है|