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संयुक्त राष्ट्र सदस्यता की फिलीस्तीनी कोशिश को भारत का समर्थन

संयुक्त राष्ट्र ।। ऐसे समय में जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक समिति ने फिलीस्तीन के आवेदन पर विचार करने के लिए बंद कमरे में बैठक की है, भारत संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता की फिलीस्तीनी कोशिश के समर्थन में खुलकर सामने आ गया है।

फिलीस्तीनी कोशिश को नई दिल्ली का समर्थन दोहराते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश पहला गैर अरब देश है, जिसने 1988 से ही फिलीस्तीन को मान्यता दे रखी है।

पुरी ने कहा कि नए देशों के प्रवेश से सम्बंधित समिति को सुरक्षा परिषद को यह सूचित करना चाहिए कि सदस्यता के लिए फिलीस्तीन का आवेदन महासभा को भेज दिया जाए।

पुरी ने कहा कि फिलीस्तीन का आवेदन अंतिम दर्जे के मुद्दे को सुलझाने के लिए पक्षों के बीच सीधी बातचीत को न तो दरकिनार करता है और न तो यह इसके खिलाफ ही है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा को 24 सितम्बर को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था, “भारत एक सम्प्रभु, स्वतंत्र, व्यवहार्य और संयुक्त फिलीस्तीन राज्य, जिसकी राजधानी जेरूसलम हो, के लिए फिलीस्तीनी जनता के संघर्ष के प्रति अपना समर्थन जाहिर करता है।”

सिंह ने कहा था, “हम संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीन की समान सदस्यता का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं।”

सुरक्षा परिषद की समिति की बैठक ऐसे समय में हुई है, जब ठीक एक सप्ताह पहले फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने लगभग दो दशक से जारी शांति वार्ता के प्रयासों को दरकिनार करते हुए संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता के लिए सीधा आवेदन किया था।

किसी देश के संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए उसका आवेदन हर हाल में सुरक्षा परिषद द्वारा भेजा जाना चाहिए और उसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों में से दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए।

समिति इस मुद्दे पर अगले सप्ताह फिर बैठक के लिए सहमत हुई है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इस कोशिश को विफल होना तय है, क्योंकि अमेरिका ने इस कोशिश को रोकने के लिए सुरक्षा परिषद में वीटो के इस्तेमाल की चेतावनी दी है।

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