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एशिया-प्रशांत क्षेत्र से आदान-प्रदान बढ़ाना चाहता है भारत

वाशिंगटन ।। भारत, जापान, और अमेरिका के बीच पहले त्रिपक्षीय संवाद से पहले भारत ने कहा है कि वह एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ अपना आदान-प्रदान लगातार बढ़ाता रहेगा।

अमेरिका में भारतीय राजदूत, निरूपमा राव ने सोमवार को युनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, बर्कले में ‘इंडिया एंड द एशिया-पैसिफिक : एक्सपैंडिंग इंगेजमेंट’ विषय पर एक सम्बोधन में कहा, “19 दिसम्बर की प्रस्तावित वार्ता आपसी समझ बढ़ाने और हमारे सहयोग के प्रयास में तेजी लाने में मददगार होगी।”

राव ने कहा कि भारत की बढ़ रही अर्थव्यवस्था और पिछले दो दशकों से जारी प्रयास के परिणामस्वरूप, भारत आज क्षेत्रीय रूप से मौजूदा संस्थानिक क्षेत्रीय ढांचों के साथ अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। 

राव ने कहा, “हमने क्षेत्रीय देशों में भारत के साथ सम्बंध मजबूत बनाने को लेकर गहरी रुचि देखी है। यह भारत की क्षमता का प्रमाण है- हमारी अर्थव्यवस्था के आकार संदर्भ में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उपलब्धियों और शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने के लिए हमारे योगदान के संदर्भ में।”

राव ने कहा, “चूंकि हम एशिया-प्रशांत की सदी की ओर आगे बढ़ रहे हैं, लिहाजा भारत इस क्षेत्र के साथ आदान-प्रदान बढ़ाता रहेगा और इसकी सम्पूर्ण समृद्धि, स्थिरता एवं सुरक्षा में योगदान करता रहेगा।”

चीन के साथ भारत के सम्बंधों पर राव ने सैन्य क्षमता के प्रदर्शन, त्वरित सैन्य आधुनिकीकरण को लागू करने की बीजिंग की क्षमता और उसकी स्पष्ट एवं बढ़ रही पहुंच का जिक्र किया।

राव ने कहा, “इसलिए असल चुनौती, भारत-चीन के बीच संवाद और कूटनीति की कोख में मौजूद जटिलताओं व चुनौतियों के बावजूद दोनों देशों के रिश्ते को बनाए रखने को लेकर है।”

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