साथ ही उन्होंने कहा कि उभरती और गरीब अर्थव्यवस्थाओं को भी अपने विकास लक्ष्यों को हासिल करना बहुत जरूरी है।
फ्रांस के कांस में होने वाले जी-20 देशों की बैठक में भाग लेने के लिए रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने कहा, “यह जरूरी है कि यूरोप और अन्य जगहों के संकट के समाधान के लिए कड़े फैसले जल्द लिए जाएं।”
उन्होंने कहा, “भारत चाहेगा कि यूरोप समृद्ध हो क्योंकि यूरोप की समृद्धि में ही भारत की समृद्धि निहित है। कांस सम्मेलन के लिए जरूरी है वह वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मध्यावधि ढांचा गत मुद्दों को सुलझाते हुए मजबूत और समन्वित पहल का संकेत दे।”
उन्होंने कहा, “भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था को अपनी चुनौतियों से निपटने के लिए एक सकारात्मक वैश्विक आर्थिक परिदृश्य चाहिए। एक-दूसरे पर बढ़ती निर्भरता वाली आज की दुनिया में हमें अर्थव्यवस्था पर इसके संक्रमित प्रभावों और मुद्रास्फीति के दबाव को लेकर चिंतित होना पड़ेगा।”
कांस में गुरुवार और शुक्रवार को जी-20 देशों के सम्मेलन में भाग लेने के अलावा प्रधानमंत्री फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड से मुलाकात करेंगे। प्रधानमंत्री शनिवार की सुबह स्वदेश लौट आएंगे।