वाशिंगटन ।। भारत, अमेरिका और जापान के बीच यहां पहली त्रिपक्षीय बैठक सम्पन्न होने के साथ ही अमेरिका और जापान ने भारत के साथ अपने रणनीतिक सम्बंधों को प्रगाढ़ बनाने की पुष्टि की और स्पष्ट किया है कि यह वार्ता चीन के खिलाफ नहीं है।
आधिकारिक स्तर की त्रिपक्षीय वार्ता से थोड़े समय पहले जापानी विदेश मंत्री कोइचिरो गेम्बा के साथ सोमवार को एक मुलाकात के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि वाशिंगटन ने टोक्यो द्वारा प्रस्तावित अमेरिका, जापान और चीन के साथ इसी तरह की एक त्रिपक्षीय वार्ता का समर्थन किया है।
क्लिंटन ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, “जापान, चीन और अमेरिका के बीच बैठक का वाशिंगटन समर्थन करता है, जैसा कि विदेश मंत्री गेम्बा ने हाल में प्रस्तावित किया है।” क्लिंटन और गेम्बा की बैठक में ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा और अफगानिस्तान के हालात जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई।
क्लिंटन के सुर में सुर मिलाते हुए गेम्बा ने जापान, अमेरिका, भारत की त्रिपक्षीय वार्ता को सहयोग का एक नायाब नमूना बताया। उन्होंने कहा, “भारत के बारे में जैसा कि विदेश मंत्री क्लिंटन ने कहा, हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि जापान व अमेरिका, भारत के साथ अपने रणनीतिक रिश्ते को प्रगाढ़ बना रहे हैं।”
आधिकारिक स्तर की बैठक की सहअध्यक्षता दक्षिण एवं मध्य एशिया सम्बंधी मामलों के सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लेक और पूर्व एशिया व प्रशांत सम्बंधी मामलों के सहायक विदेश मंत्री कर्ट कैम्पबेल ने की। बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश विभाग में अमेरिका और पूर्व एशिया सम्बंधी मामलों के प्रभारी क्रमश: जावेद अशरफ और गौतम बम्बावाले ने किया।
भारतीय दूतावास ने बाद में एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि इस प्रथम त्रिपक्षीय वार्ता में तीनों पक्षों ने आपसी हित के व्यापक क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
बयान में कहा गया, “यह वार्ता हमारी तीनों सरकारों के बीच होने वाली कई वार्ताओं की शुरुआत है। तीनों सरकारें पूरे एशिया-प्रशांत और दुनिया भर में साझे मूल्य रखती हैं।”
बयान में कहा गया है, “सभी पक्षों ने स्पष्ट एवं व्यापक प्रकृति की चर्चाओं का स्वागत किया, और इस बात पर सहमति जताई कि यह बातचीत उनके साझा मूल्यों व हितों को आगे बढ़ाने में मददगार है।”
तीनों पक्ष अपनी बातचीत जारी रखने के लिए 2012 में टोक्यो में दोबारा मिलने पर सहमत हुए हैं।
जापान द्वारा प्रस्तावित इस त्रिपक्षीय वार्ता को तत्कालीन विदेश सचिव निरूपमा राव के अप्रैल 2010 के जापान दौरे में अंतिम रूप दिया गया था। यह वार्ता भारत की पूर्वोन्मुखी नीति से आगे बढ़कर उत्तर एशिया के साथ सम्बंध स्थापित करने के नई दिल्ली के प्रयास का भी हिस्सा है।