प्रधनमंत्री ने कहा कि संयंत्र की दूसरी इकाई छह महीने के भीतर काम करने लगेगी। इसके अलावा भारत और रूस ने संयंत्र की तीसरी और चौथी इकाई को संचालित करने के लिए ऋण सम्बंधी दस्तावेजों को अंतिम रूप दे दिया।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह घोषणा रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव के साथ के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में की। इससे पहले उन्होंने मेदवेदेव के साथ 12वें भारत-रूस द्विपक्षीय सम्मेलन में हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री की यह घोषणा संयंत्र में 1,000 मेगावाट की पहली इकाई के वाणिज्यिक संचालन के लिए निर्धारित मार्च 2012 के समय से काफी पहले संचालन शुरू करने का संकेत देती है, जबकि भारतीय अधिकारी आज भी उन लोगों को समझाने-बुझाने में लगे हैं, जो परमाणु संयंत्र को अपने लिए असुरक्षित बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं।
संयंत्र का संचालन शुरू करने के बारे पूछे गए सवाल के जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा, “मुझे भरोसा है कि दो सप्ताह के भीतर हम कुडनकुलम में पहली इकाई का संचालन शुरू करने में सफल होंगे और छह माह बाद दूसरी इकाई का।”
उन्होंने कहा, “कुडनकुलम एक और कुडनकुलम द्वितीय उन्नत चरण में हैं और वे संचालित होने के बहुत करीब हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस ने कुडनकुलम में तीसरी एवं चौथी इकाई पर भी बातचीत कर ली है। तमिलनाडु में परियोजना का विरोध कर रहे ग्रामीणों के बारे में उन्होंने कहा कि संयंत्र की सुरक्षा और लोगों की आजीविका प्रभावित होने को लेकर ‘कुछ प्रदर्शनों’ के संदर्भ में ‘अस्थाई समस्याएं’ हैं, लेकिन “हमें यकीन है कि हम कुछ लोगों को यह समझाने में सफल होंगे कि हमारे परमाणु संयंत्र सुरक्षित हैं और इसे लेकर चिंता करने की कोई बात नहीं है।”
प्रधनमंत्री ने कहा, “हमें विश्वास है कि लोगों को यह समझाने में सफल रहेंगे कि उनकी चिंताओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा। यह एक प्रतिबद्धता है और भारत तथा रूस इसका पूरा सम्मान करेंगे।”