मसौदे में भारत के मांगों को शामिल किए जाने पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने प्रसन्नता जाहिर की। नटराजन ने आईएएनएस से कहा, “हम इसके लिए काफी दबाव बनाते आए हैं और मुझे खुशी है कि इसे पहचान मिल गई।”
ज्ञात हो कि डरबन वार्ता से पहले भारत ने बैठक के अंतिम एजेंडा में तीन बातों- समानता, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए बौद्धिक सम्पदा का अधिकार और एकतरफा व्यापार उपायों को शामिल करने का प्रस्ताव दिया था।
सूत्रों के मुताबिक भारत के इन प्रस्तावों का विकसित देशों ने विरोध किया लेकिन पाकिस्तान जैसे विकासशील देशों और बेसिक के देशों ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और चीन ने भारत की इस पहल का समर्थन किया।
मसौदे के मुताबिक, “एक निष्पक्ष हिस्सेदारी रखते हुए और एक न्यायसंगत आवंटन ढांचे में विकसित देशों द्वारा बाध्यकारी उत्सर्जन कटौती के उपक्रम में नेतृत्व करने से समानता की भावना प्रदर्शित होगी।”
दीर्घकालिक सहयोग कार्रवाई पर 138 पन्ने के दस्तावेज में देशों ने कानूनी रूप से बाध्यकारी एक कानून के लिए चार विकल्पों का प्रस्ताव दिया है। इस बीच, रूस ने भी प्रस्ताव पेश किया जिसे विकासशील देशों ने खारिज कर दिया।