saarc sammelan
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अद्दू अतोल (मालदीव) ।। भारत ने व्यापार उदारीकरण की एक बड़ी पहल करते हुए गुरुवार को मालदीव में दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) समझौते के तहत अल्प विकसित देशों के लिए अपनी ‘संवेदनशील सूची’ से कुछ वस्तुओं को शुल्क मुक्त करने की घोषणा की।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत मुक्त व्यापार तथा दक्षिण एशिया के संतुलित विकास के लिए प्रतिबद्ध है। मनमोहन सिंह ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) देशों से एक दूसरे पर विश्वास करने का आह्वान किया और दक्षेस के क्षमता निर्माण के लिए कई उपायों की घोषणा की।

दक्षेस के 17वें शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं यह घोषणा करते हुए काफी खुश हूं कि व्यापार उदारीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए भारत सरकार ने साफ्टा के तहत आने वाले अल्प विकसित देशों के लिए संवेदनशील सूची की वस्तुओं की संख्या 480 से घटाकर 25 कर दी है।”

उन्होंने कहा, “सूची में से हटाई गई सभी वस्तुओं पर तत्काल प्रभाव से शून्य आधार सीमा शुल्क की सुविधा दी जाएगी।”

साफ्टा समझौते के तहत इसके सदस्य देशों को अपनी ‘संवेदनशील सूची’ बनाने की अनुमति है और सूची में शामिल वस्तुओं पर रियायत नहीं दी जाती है। लेकिन सूची में कटौती करने से अब बांग्लादेश, भूटान और नेपाल जैसे अल्प विकसित देशों की भारतीय बाजारों तक पहुंच और बढ़ जाएगी।

मनमोहन सिंह ने कहा कि वह जानते हैं कि गैर-शुल्क अवरोध चिंता के विषय हैं। उन्होंने कहा, “भारत दक्षिण एशिया में व्यापार के मुक्त एवं संतुलित विकास के विचार के लिए प्रतिबद्ध है। इस वैश्विक दुनिया में यदि हमारी अर्थव्वस्थाओं को बनाए रखना है तो हमारे उद्योगों को प्रतिस्पर्धा करना सीखना होगा।”

उल्लेखनीय है कि साफ्टा समझौते के तहत भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका सहित गैर-अल्प विकसित देशों को वर्ष 2013 तक अपनी शुल्क दरों में शून्य से पांच प्रतिशत की कटौती करनी है जबकि अल्प विकसित देशों को वर्ष 2016 तक इतनी ही कटौती करनी है।

गैर-अल्प विकसित देशों में भारत ने संवेदशनशील वस्तुओं की सूची में 865 वस्तुओं जबकि पाकिस्तान ने 1169 को रखा है। अन्य देशों में श्रीलंका ने 1065 वस्तुओं, बांग्लादेश ने 1254, भूटान ने 157, मालदीव ने 671 और नेपाल ने 1313 वस्तुओं को संवेदनशील सूची में रखा है।

अपने पाकिस्तानी समकक्ष यूसुफ रजा गिलानी के साथ एक सफल बैठक के ठीक बाद मनमोहन सिंह ने दक्षेस देशों से ‘एक-दूसरे का विश्वास’ और ‘आपसी मतभेदों को दरकिनार’ करने का आह्वान किया।

मालदीव के सुदूर दक्षिण स्थित अतोल द्वीप में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्षों एवं शासनाध्यक्षों को सम्बोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि दक्षेस के आठ सदस्य देशों की सुरक्षा एवं स्थिरता आपस में जुड़ी हुई है और कोई भी देश अलग-थलग होकर समृद्ध नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, “हमें काफी लम्बी दूरी तय करनी है लेकिन मुझे विश्वास है कि निरंतर प्रयासों से हम अपनी वास्तविक क्षमता को प्राप्त कर सकते हैं। हमें एक दूसरे का विश्वास करना और एक-दूसरे से सीखना है।”

अपने 15 मिनट के सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे देशों की सुरक्षा और स्थिरता एक-दूसरे से जुड़ी हुई है और हम में से कोई भी अलग-थलग होकर समृद्ध नहीं हो सकता। हम जिन समस्याओं का सामना करते हैं उन्हें हम अपनी महात्वाकांक्षाओं और सपनों के रास्ते में नहीं आने देंगे।”

वहीं, शैक्षिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में कई कदम उठाए जाने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने दक्षेस की क्षमता निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। साथ ही उसने सदस्य देशों के बीच सम्पर्क, संचार और सूचना के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।

मनमोहन सिंह ने जिन कदमों की घोषणा की उनमें नई दिल्ली स्थित दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों में छात्रवृत्ति की संख्या 50 से बढ़ाकर 100 करना और देहरादून स्थित वानिकी अनुसंधान संस्थान में डॉक्टरेट की पढ़ाई शुरू करना शामिल है।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत दक्षिण एशिया के शीर्ष पयर्टन संचालकों का एक सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित करेगा। इसके अलावा भारत पुरातत्विक महत्व के 100 स्थानों की एक यात्रा प्रदर्शनी की शुरुआत करेगा जिसकी मेजबानी सदस्य देश तीन महीनों के लिए अपने यहां के संग्रहालयों में करेंगे।

मनमहोन सिंह ने कहा कि दक्षेस सम्मेलन का केंद्र बिंदु ‘सम्पर्क निर्माण’ है जो वृहद क्षेत्रीय एकता की भावना को पूरी तरह से समाहित करता है और भारत इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने दक्षेस के आठ सदस्य देशों के बीच वायु, रेल और सड़क सम्पर्क बढ़ाए जाने पर जोर दिया।

‘रिश्ते में नई इबारत लिखने का समय’ 

भारत और पाकिस्तान ने गुरुवार को मालदीव में अपने तनावपूर्ण सम्बंधों को पीछे छोड़ते हुए आपसी रिश्तों में ‘एक नया अध्याय’ जोड़ने के बारे में चर्चा की। जबकि पाकिस्तान ने नई दिल्ली को भरोसा दिलाया कि वह मुम्बई आतंकवादी हमले के दोषियों के खिलाफ शीघ्र सुनवाई पूरी करेगा।

दक्षेस के 17वें शिखर सम्मेलन से इतर शांगरी ला होटल में दोनों नेताओं के बीच पहले करीब आधे घंटे तक शिष्टमंडल स्तर की बातचीत हुई और इसके बाद दोनों नेताओं ने अकेले में करीब 45 मिनट तक वार्ता की।

भारत ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि पाकिस्तान 26/11 के नरसंहार के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे और इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को उनके रिश्तों में कड़वाहट लाने का माध्यम नहीं बनना देना चाहिए। पाकिस्तान ने मुम्बई हमले के आरोपियों के मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का वादा किया और कहा कि भारत की जेल में बंद आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए।

आपसी सामंजस्य की एक नई भावना का संकेत देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने आपसी रिश्तों में नये अध्याय का सूत्रपात करने का संकल्प लिया और आशा व्यक्त की कि अगले दौर की वार्ता ‘और उपयोगी एवं रचनात्मक होगी।’

गिलानी को ‘शांति पुरुष’ करार देते हुए सिंह ने कहा कि इस साल के आरम्भ में बहाल हुई शांति प्रक्रिया के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं लेकिन इस दिशा में और प्रयास किए जाने की जरूरत है।

मनमोहन सिंह ने कहा, “हमने निर्णल लिया है कि हम इस अपेक्षा के साथ इस वार्ता की दोबारा शुरुआत करेंगे कि रिश्तों में परेशानी उत्पन्न कर रहे सभी मसलों पर दोनों पक्षों द्वारा गम्भीरतापूर्वक चर्चा की जाएगी।”

गिलानी ने भी उन्हीं की बात दोहराते हुए कहा, “हमारी बैठक अच्छी रही। मुझे उम्मीद है कि वार्ता का अगला दौर ज्यादा उपयोगी होगा और दोनों देशों के सम्बंधों में नए अध्याय की शुरूआत होगी।”

गिलानी ने कहा, “हमने जल, आतंकवाद, सरक्रीक और सियाचीन जैसे सभी मसलों पर खुलकर बात की।” वहीं, पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री रहमान मलिक ने कहा कि अजमल कसाब एक आतंकवादी है और उसे फांसी दी जानी चाहिए।

‘शांति पुरुष’ बताने पर भाजपा ने की आलोचना :

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को ‘शांति पुरुष’ बताने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना करते हुए कहा कि मालदीव में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच हुई बैठक ‘शर्म-अल-शेख की तरह दुर्भाग्यपूर्ण’ है।

पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने एक टेलीविजन चैनल से कहा, “प्रधानमंत्री का यह बयान कि गिलानी एक शांति पुरष हैं, हास्यास्पद है।”

दक्षेस के शिखर सम्मेलन के इतर गिलानी के साथ हुई बैठक के बाद प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सिन्हा ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच मुख्य मुद्दा सीमा पार से चलने वाला आतंकवाद है।

समर्थन देने पर गिलानी ने आभार जताया :

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अस्थाई सदस्यता के चुनाव में उनके देश का समर्थन करने और यूरोपीय बाजारों तक पहुंच आसान करने के लिए भारत का आभार जताया।

मालदीव में अपनी वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए गिलानी ने कहा, “सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान का समर्थन करने के लिए मैं प्रधानमंत्री को एक बार फिर धन्यवाद देता हूं।”

प्रधानमंत्री को पाकिस्तान आने का न्योता :

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने गुरुवार को अपने भारतीय समकक्ष मनमोहन सिंह को अपनी देश की यात्रा पर आने का निमंत्रण दिया। गिलानी ने एक भावुक अपील करते हुए मनमोहन सिंह से अपने जन्मस्थान का दौरा करने का भी अनुरोध किया।

भारतीय विदेश सविच रंजन मथाई ने पत्रकारों से कहा, “मनमोहन सिंह को पाकिस्तान की यात्रा करनी चाहिए, इसके लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अत्यंत उत्सुक हैं।”

मथाई के मुताबिक गिलानी ने मनमोहन सिंह से कहा कि उनकी यात्रा से आपसी सम्बंध मजबूत होंगे। साथ ही उन्हें अपने पूर्वजों के स्थान को भी देखने का मौका हाथ लगेगा

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