उन्होंने बुधवार को स्वदेश वापसी के लिए रवाना होने से पहले ढाका विश्वविद्यालय में अपने सम्बोधन में कहा, “मुझे उम्मीद थी कि इस यात्रा के दौरान हम तीस्ता नदी जल बंटवारे पर सहमति बना सकेंगे।”
उन्होंने कहा, “दोनों ही पक्षों ने एक ऐसा समाधान निकालने का बहुत प्रयास किया था, जो सभी को स्वीकार्य हो। दुर्भाग्य से उपलब्ध समय में इन प्रयासों को सफलता नहीं मिल सकी।”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तीस्ता नदी जल बंटवारे सम्बंधी समझौते के मसौदे का विरोध करने के बाद भारत व बांग्लादेश ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए। ममता का कहना था कि यह संधि उत्तरी बंगाल के किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाती है।
सिंह दो दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को ढाका पहुंचे थे। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौते होने की उम्मीद थी।
सिंह ने कहा, “मैंने सम्बंधित अधिकारियों से समझौते के लिए एक ऐसा फार्मूला निकालने की दिशा में प्रयास तेज करने को कहा है जिससे भारत या बांग्लादेश में जो लोग इस नदी पर निर्भर हैं उन्हें कोई अनुचित परेशानी न हो।”
तीस्ता नदी सिक्किम से निकलती है और उत्तरी बंगाल से होती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है। भारत व बांग्लादेश के बीच 54 नदियां बहती हैं।