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राज्‍यपाल शासन से आखिर क्‍यों हैं सेनाध्‍यक्ष खुश, क्‍या कश्‍मीर में प्‍लान किया जा रहा है कोई बड़ा मिशन?

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रमजान खत्‍म होते भी भारतीय जनता पार्टी ने कश्‍मीर में पीडीपी से अपना समर्थन वापस लेकर सरकार गिरा दी। राजनीतिक पंडित इसके कई कारण बता रहे हैं। जिनमें से कुछ कारण इस प्रकार हैं:

रमजान की शांति अपील का पड़ा उल्‍टा असर

महबूबा मुफ्ती की गुजारिश के बाद कश्‍मीर में भारत सरकार ने सीज फायर का ऐलान किया था जिसका फायदा आतंकवादियों ने खूब जम कर उठाया और घाटी में अपनी सारी गतिविधियां तेज कर दी। इतना ही नहीं घाटी में इस दौरान आतंकवादी घटनाओं में दोगुने से भी ज्‍यादे का इजाफा हुआ।

इसके अलावा सरकार की ज्‍यादा किरकिरी तब हुई जब ‘राईजिंग कश्‍मीर’ के संपादक शुजात बुखारी और सेना के जवान ‘औरंगजेब’ की इसी दौरान निर्मम् हत्‍या कर दी गई। इन घटनाओं से भाजपा की केंद्र सरकार ने यह समझ लिया कि शांति की शुरूआत कश्‍मीर मुद्दे का कोई हल नहीं है। इसलिए हर बार सरकार के सख्‍त एक्‍शन का विरोध करने वाली पीडीपी सरकार को सबसे पहले समर्थन वापस लेकर गिराया गया।

सैनिकों पर हो रही एफआईआर से हो रही थी बदनामी

राज्‍य पुलिस मुख्यमंत्री के अधीन रहकर काम करती है ऐसे में बार-बार सैनिकों पर हो रही एफआईआर से सरकार की किरकिरी हो रही थी। ऐसे मामलों में भी सैनिकों के खिलाफ एफआईआर लिखी गई जिसमें सैनिकों ने सिर्फ आत्‍मरक्षा के लिए कदम उठाया।

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इन सब मामलों से सरकार की तो किरक‍िरी हो रही थी साथ में बीजेपी अपना देशप्रेम वाला कार्ड भी फीका पड़ रहा था। बीजेपी की छवि बन रही थी कि सरकार में रहने के लिए वह सैनिकों पर कार्यवाही पर भी चुप रह रही है। ऐसे में सरकार के साथ बने रहना भाजपा के लिए अपने ही पैर पर कुल्‍हाडी मारने जैसा था।

अलगाववादियों के प्रति पीडीपी का बढ़ता प्रेम

पीडीपी हमेशा से ही अलगाव वादियों का समर्थन करती रही है और कश्‍मीरी आतंकियों के खिलाफ भी वह कोई बड़ा कदम लेने से घबराती रही है। ऐसे में सरकार में साथ रहकर वह यह दबाव बनाने का काम कर रही थी कि अलगाव वादियों से बातचीत की जाए और बातचीत के जरिए कश्‍मीर समस्‍या का कोई समाधान निकाला जाए।

यह मौजूदा सरकार के लिए इन हालातों में कतई संभव नहीं था जब रमजान में रखे गए शांति प्रस्‍ताव का जवाब दो हत्‍याओं से दिया गया। यह भी एक कारण है कि भाजपा ने सरकार से बाहर रहने की ठानी।

सेना प्रमुख ने दिए हैं साफ संकेत

रमजान में आतंकियों ने जिस तरह से कश्‍मीर में आगजनी की उससे सेना प्रमुख बहुत गुस्‍से में हैं। साथ ही औरंगजेब की हत्‍या ने इस गुस्‍से की आग में घी डालने का काम किया है।

सेना प्रमुख ने एक बयान में साफ कर दिया कि सीजफायर सिर्फ रमजान तक था और अब सेना को पता है उसको क्‍या करना है। हमारी शांति की कोशिश का कितना असर हुआ ये पूरी दुनिया ने देख लिया। अब जो राज्‍यपाल शासन लगा है उसका हमारे किसी भी मिशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

इन सब कारणों के बाद भी जम्‍मू कश्‍मीर की सत्‍ता में बना रहना भाजपा के लिए खतरे से खाली नहीं था। जिसके चलते उन्‍होंने अपना समर्थन वापस लेकर सरकार गिरा दी। वैसे भी सेना और सरकार का मूड ईद के अगले दिन ही ऑपरेशन ऑल आउट के रिज्‍यूम होते ही साफ हो गया था।

जब ईद के अगले दिन ही सेना ने 4 आतंकियों को मार गिराया था। सेना और केंद्र सरकार ने साफ संकेत दे दिए कि ऐसे ऑपरेशन अब पिछली बार से और तेज होंगे और ज्‍यादा होंगे। ऐसे में पीडीपी जो कि पहले से ही इस ऑपरेशन के खिलाफ थी वह सेना का कार्यवाही को रोकने का प्रयास जरूर करती।

यह भी एक कारण हो सकता है कि पहले भाजपा ने खुद को सरकार से अलग कर सरकार गिरा दी और अब सेना को बड़े ऑपरेशन कंडक्‍ट करने की छूट दे दी जिससे ऑलआउट में कोई परेशानी सामने ना आए।

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