भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का दम भरने वाले केजरीवाल को एक बार फिर मीडिया से मुंह छुपाने की नौबत आ गई है। कैग की रिपोर्ट ने खुलासा किया कि राशन की ढुलाई में करीबन 50 ऐसे मामले हैं जिनमें नियमों को ध्यान में नहीं रखा गया। जिसके कारण गरीबों को मिलने वाली सुविधा का फायदा अधिकारियों ने पैसे बना कर कमाया।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार राशन वितरण में निम्न गड़बडि़यां की गई हैं:
1: जांच में दिल्ली में 13 राशन कार्ड ऐसे पाए गए हैं जिनमें घर के सबसे बड़े सदस्य की उम्र 18 साल से भी कम दिखाई गई है। जबकि 12,852 ऐसे मामले सामने आए जिसमें राशन कार्ड में दर्ज परिवार के सदस्यों में एक भी महिला सदस्य नहीं है।
2: जिन 207 गाढि़यों से राशन ढोया जा रहा था उनमें से 42 गाढि़यों का तो रजिस्ट्रेशन ही नहीं था।
3: इनमें से आठ गाढि़या ऐसी थी जिन्होंने 1500 क्विंटल से ज्यादा ढुलाई की, लेकिन उनके रजिस्ट्रेशन नम्बर बस, टू व्हीलर और थ्री व्हीलर के पाए गए।
4: इस बार सभी राशन कार्ड धारकों को राशन की दुकान से संबंधित अपडेट एसएमएस के द्वारा जाने थे लेकिन 2453 मामलों में नंबर राशन दुकानदारों के ही निकले।
5: राशन से जुड़ी समस्याओं के लिए कॉल सेंटर बनाए गए हैं लेकिन इस कॉल सेंटर में 2013 से 2017 के बीच तकरीबन 16 लाख कॉल्स आई हैं जिनमें से सिर्फ 42 फीसदी कॉल के ही जवाब दिए गए हैं।
6: केजरीवाल सरकार की सख्त हिदायत थी कि अधिकारी जमीन पर जाकर राशन की सरकारी दुकानों का निरीक्षण करते रहेंगे लेकिन जांच में पाया गया कि ऐसा कोई इंस्पेक्शन नहीं हुआ।
7: इस जांच में ऐसे 412 राशन कार्ड पाए गए जिनमें परिवार के एक ही सदस्य के नाम कई बार लिखे थे।
8: राशन कार्ड पर राशन लेने की कुछ शर्ते हैं जैसे अपनी कार या प्रापर्टी न हो, न ही वो इंनकम टेक्स के दायरे में आते हों और न ही उनके पास 2 किलोवाट से ज्यादा का बिजली मीटर हो। लेकिन इसके बाद भी एक हजार से ज्यादा कार्ड ऐसे पाए गए हैं जिनमें लोगों ने अपने नौकर के नाम लिखवा रखे थे।
इन धांधलियों के बाद अब केजरीवाल ने यह आश्वासन दिया है कि कैग की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद वो इस मामले में सीबीआई जांच करवाएंगे और जो भी इसमें दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
हिंदी जगत से जुड़ी ऐसी अनोखी जानकारी पाने के लिए like करें हमारा Facebook पेज।