एयरलाइन को हर पीड़ित परिवार को एक-एक लाख एसडीआर का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। एसडीआर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी एक क्लेम है। इसे स्पेशल ड्रॉविंग राइट्स कहा जाता है। एक एसडीआर का मूल्य 75 रुपये है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं को संचालन और सुरक्षा के लिए हुई मोंट्रियाल संधि पर दस्तखत किए हैं। 1999 में हुई इस संधि के तहत अंतरराष्ट्रीय हवाई हादसों के लिए यात्रियों को मुआवजा और दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। भारत में जून 2009 से मोंट्रियाल संधि प्रभाव में आई है।
गौरतलब है कि 22 मई 2010 को इंडिया की सस्ती सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान मंगलौर हवाई अड्डे के पास हादसे का शिकार हो गया। लैंडिंग के वक्त विमान पहाड़ी की चोटी पर बने रनवे को पार कर गया। पायलटों ने दोबारा उड़ान भरने की कोशिश की लेकिन विमान खाई में गिरकर आग की लपटों में घिर गया। हादसे में 158 लोगों की मौत हो गई थी। जिनमें से 53 केरल के कासरगोद और कन्नूर जिले के रहने वाले थे।
केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी आर रामचंद्रन मेनन ने मोहम्मद रफी के परिवार की याचिका पर यह निर्देश दिया जिसकी 18 मई को हुए विमान हादसे में मौत हो गई थी। अदालत ने एयर इंडिया को एक महीने के भीतर अंतरिम मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है। एयर इंडिया ने हादसे के लिए सर्बियाई मूल के ब्रिटिश पायलट स्लात्को ग्लूसिका को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन जांच के बाद यह बात भी सामने आई कि एयर इंडिया के अधिकारियों ने नियमों को तोड़ा और थके हुए पायलट ग्लूसिका को जबरदस्ती फ्लाइट पर भेजा।
ग्लूसिका 18 मई को छुट्टियों से वापस आए। उनके बेटे अलेक्जेंडर ग्लूसिका का दावा है कि 23 मई तक उनके पिता की कोई फ्लाइट नहीं थी। लेकिन इस बीच अचानक ड्यूटी में बदलाव किया गया और ग्लूसिका को 21-22 की मंगलौर की फ्लाइट दे दी गई। अलेक्जेंडर ग्लूसिका खुद भी एक पायलट हैं।