कुछ ही दिनों पहले घाटी में पत्थरबाजों ने वहां धूमने आए एक बंगाली परिवार पर पत्थर फेंका जिस कारण एक सैलानी की मृत्यु हो गई थी। इस घटना में वहां की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने खूब घडि़याली आंसू बहाए और कैमरे पर ऐसा जताया कि उन्हें बहुत दुख है इस घटना से। इसके बाद लोग ये उम्मीद करने लगे थे कि मुख्यमंत्री साहिबा कुछ कड़े निर्णय लेंगी।
भाजपा के लिए बनीं गले की फांस
लेकिन हुआ इसका उलट। कल महबूबा मुफ्ती ने एक तरह से भारत सरकार और इंडियन आर्मी से आतंकियों और पत्थरबाजों की जान की भीख मांग ली। मुफ्ती ने अपने बयान में कहा कि जिस तरह से वर्ष 2002 में अटल बिहारी बाजपायी की सरकार ने ‘अपनी तरफ से सीज फायर’ की घोषणा की थी उसी तरह जो मुहिम भारतीय सेना ने चलाई हुई है उसे कम से कम रमजान के महीने में रोक दिया जाए।
कश्मीर की मुख्यमंत्री की इस बात पर अभी तक कोई बयान तो नहीं जारी हुआ है लेकिन सेना प्रमुख ने इसको लेकर इशारों इशारों में संकेत दे दिए है कि आतंक और पत्थरबाजी किसी भी स्तर में स्वीकार नहीं कि जाएगी।