कीमत में वृद्धि से नाराज तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को पार्टी की संसदीय दल की एक बैठक बुलाई है। उधर मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि सरकार आम आदमी के प्रति असंवेदनशील है।
भाजपा नेता निर्मला सीतारमन ने कहा कि सरकार पहले आवश्यक वस्तुओं की कीमत कम करने में नाकाम रही और अब उसने ईंधन की कीमत बढ़ा दी। उन्होंने इसे पूरी तरह से असंवेदनशील रवैया कहा।
पार्टी के नेता राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि सरकार के इस फैसले के लिए आम जनता उसे माफ नहीं करेगी।
तेल कम्पनियों ने करीब डेढ़ महीने पहले ही पेट्रोल के दाम बढ़ाए थे।
कम्पनियों ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रुपये की कीमत में गिरावट और कच्चे तेल की ऊंची कीमत के चलते हो रहे नुकसान की भरपाई करने के लिए कीमत बढ़ाने का फैसला किया गया।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “कीमत शुक्रवार से बढ़ेगी। सभी तीन कम्पनियों ने प्रति लीटर 1.80 रुपये कीमत बढ़ाने का फैसला किया है।”
इससे पहले 15 सितम्बर 2011 को तेल कम्पनियों ने पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 3.14 रुपये बढ़ाई थी। कम्पनियों ने जून 2010 के बाद गुरुवार को 11वीं बार पेट्रोल की कीमत बढ़ा दी।
एक आधारभूत संरचना में काम करने वाले विशाल दत्ता ने कहा, “सरकार को समझना चाहिए कि पेट्रोल की कीमत बढ़ाने का यह सही समय नहीं था। खाद्य वस्तु सहित अन्य सभी वस्तु महंगी हो गई है। निश्चित रूप से इससे आम आदमी पर दबाव बढ़ेगा।”
पेट्रोल के मूल्य में वृद्धि का फैसला तीनों सरकारी तेल कम्पनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम निगम लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने मिलकर किया।
इस बीच खाद्य महंगाई की ताजा दर भी 22 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के लिए 12.21 फीसदी पर जा पहुंची, जो पिछले नो महीनों का ऊपरी स्तर है।
दो दिन पहले एक तेल कम्पनी ने कहा था कि कच्चे तेल की ऊंची कीमत और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रुपये के मूल्य में कमी होने के कारण वह पेट्रोल की कीमत बढ़ाने पर विचार कर रही है।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के वित्त निदेशक बी. मुखर्जी ने संवाददाताओं से कहा, “अभी हमें प्रति लीटर पेट्रोल पर 1.50 रुपये का नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई के लिए पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 1.82 रुपये बढ़ाई जानी चाहिए।”
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 108 रुपये प्रति बैरल के आस पास चल रही है, जबकि रुपये की कीमत तीन माह पहले 46.50 रुपये प्रति डॉलर से घटकर 49 रुपये प्रति डॉलर पर आ गई है। इसके कारण आयात पर खर्च बढ़ गया है।
देश में आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की कीमत 1-16 अक्टूबर को 103.63 डॉलर प्रति बैरल चल रही थी, जो अब बढ़कर 108.73 डॉलर प्रति बैरल हो गई है।
तेल विक्रेता कम्पनियों को इस कारोबारी साल में बाजार दर से कम कीमत पर पेट्रोलियम उत्पाद बेचने के कारण 1,30,000 करोड़ रुपये तक नुकसान होने का अनुमान है।
इस बीच पेट्रोल की कीमत में वृद्धि की घोषणा के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के दूसरे सबसे बड़े घटक तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को पार्टी की संसदीय समिति की एक बैठक बुलाई है। बैठक में इस मुद्दे पर पार्टी की अगली रणनीति पर विचार किया जाएगा।