केंद्र सरकार की ओर पेश वरिष्ठ वकील पी.पी. राव ने न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी एवं न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली की खंडपीठ को बताया कि जांच का संज्ञान निचली अदालत द्वारा ले लिए जाने के बाद ‘लक्ष्मण रेखा’ सीबीआई जांच की निगरानी की समाप्ति की ओर संकेत करती है।
राव ने शीर्ष अदालत को ‘लक्ष्मण रेखा’ के बारे में याद दिलाया। इस पर न्यायमूर्ति गांगुली ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘लक्ष्मण रेखा अलंघनीय नहीं है।’
न्यायमूर्ति गांगुली ने टिप्पणी करते हुए कहा, “हम सीमित अर्थो में लक्ष्मण रेखा के अर्थ को समझते हैं। यदि लक्ष्मण रेखा को पार नहीं किया जाता तो रावण मारा नहीं जाता।”
न्यायालय ने यह टिप्पणी जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका की सुनवाई करते हुए की। स्वामी ने अपनी याचिका में 2जी स्पेक्ट्रम की कीमत तय करने में वर्ष 2008 में केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम की भूमिका का जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।