Home देश 86 विधेयक लम्बित, संसद में सांसदों के रवैये से जनता नाराज

86 विधेयक लम्बित, संसद में सांसदों के रवैये से जनता नाराज

नई दिल्ली ।। देश की जनता संसद के मानसून सत्र में सांसदों के हंगामे और शोर-शराबे के कारण बार-बार सदन की कार्यवाही स्थगित होने से नाराज है, जिसके कारण कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित नहीं हो सके तो कुछ पेश भी नहीं किए जा सके।

उन्हें लगता है कि एक अगस्त से आठ सितम्बर तक एक माह से अधिक समय तक चले संसद सत्र में सांसदों को बगैर काम के ही वेतन मिले। इस दौरान केवल 11 विधेयक पारित हुए, जबकि 14 ही पेश किए गए। आर्थिक सुधार सहित कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से सम्बंधित 86 विधेयक पारित नहीं किए जा सके।

राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने भी दो टूक कहा कि बार-बार स्थगन के कारण संसद के कामकाज का समय बार्बाद हुआ है। समाज का मध्यम वर्ग भी इससे नाराज है।

दिल्ली विश्वविद्यालय में विधि के छात्र आशीष खन्ना ने कहा, “हमने बहुत वक्त बर्बाद किया.. इसलिए कुछ विधेयक पारित हो सके। मुझे आश्चर्य होता है कि इतना लम्बा सत्र बुलाने की आवश्यकता क्या थी, जबकि इतना काम डेढ़ सप्ताह में किया जा सकता है।”

बार-बार स्थगन के कारण प्रश्नकाल का 60 प्रतिशत वक्त बर्बाद हुआ। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक, लोकसभा में निर्धारित समय से केवल 67 प्रतिशत काम हुआ, जबकि राज्यसभा में यह 62 प्रतिशत रहा।

एक सरकारी कर्मचारी मधुरिमा शर्मा ने कहा, “सरकार का कामकाज संसद पर निर्भर करता है। लेकिन बड़ी संख्या में लम्बित विधेयकों को देखते हुए मुझे लगता है कि सांसद अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहे।”

लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों से मिली जानकारी के अनुसार, दोनों सदनों में 26 बैठकों में से कम से कम आधे स्थगित रहे।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संसद के कामकाज में बाधा एक प्रवृत्ति बन गई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रदीप कुमार दत्ता के अनुसार, कुछ हद तक इसके लिए गठबंधन राजनीति को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसमें तब तक कोई बदलाव नहीं हो सकता, जब तक कि इसके लिए सांसदों की जवाबदेही न तय की जाए।

[अंजलि ओझा]

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