दक्षिणी बेंगलुरू स्थित नेशनल कालेज के मैदान में बारिश में भीगकर पहुंचे लगभग 5,000 लोगों को सम्बोधित करते हुए आडवाणी ने कहा, “सुशासन और भ्रष्टाचार एक साथ नहीं रह सकता। मैं ऐसा सिर्फ कांग्रेस के लिए नहीं, बल्कि अपनी पार्टी भाजपा के लिए भी कह रहा हूं, क्योंकि भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं हो सकता।”
भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने रुख को दोहराते हुए आडवाणी ने अप्रैल 2010 में इस शहर के दौरे के दौरान राज्य के पार्टी नेताओं से कही अपनी बात को याद किया। उन्होंने कहा था कि दक्षिणी राज्य में किसी के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा क्योंकि पार्टी 2008 में पहली बार यहां सत्ता में आई।
उत्तर भारत में अपनी पार्टी के पहले मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा या पूर्व मंत्री एवं खनन कारोबारी जी. जनार्दन रेड्डी का नाम लिए बिना आडवाणी ने कहा, “यदि हमें भ्रष्टाचार से लड़ना है तो हमें सुशासन देकर एक उदाहरण पेश करना होगा। हमने हाल ही में लोकायुक्त की रिपोर्ट आते ही कर्नाटक में कार्रवाई की।”
यह स्वीकार करते हुए कि पूर्व कैबिनेट मंत्रियों सहित पार्टी के कई विधायक आरोपों का सामना कर रहे हैं, पूर्व उप प्रधानमंत्री ने कहा कि छह दशक पहले जब भारत को ‘स्वराज मिला तभी से देश सुराज के लिए तरस रहा है’।
2जी, राष्ट्रमंडल खेल और आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले के लिए केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आडवाणी ने कहा, “मैंने ऐसी भ्रष्ट सरकार कभी नहीं देखी।”
नए मुख्यमंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा को शाबाशी देते हुए उन्होंने कहा कि वह सही दिशा में जा रहे हैं और उम्मीद है कि सुशासन देंगे।
येदियुरप्पा के 31 जुलाई को इस्तीफा देने के बाद गौड़ा ने चार अगस्त को कार्यभार संभाला था।
ज्ञात हो कि अवैध खनन मामले पर तत्कालीन लोकायुक्त एन. संतोष हेगड़े ने 27 जुलाई को रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें नाम आने पर येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
आडवाणी ने कहा कि वह समझते हैं कि 2008 में संसद में हुआ ‘वोट के लिए नोट’ कांड 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले से कहीं ज्यादा बड़ा मामला है।
आडवाणी ने जोर देते हुए कहा, “कांग्रेस ने अपने सभी सदस्यों और घटकों को वोट खरीदने में लगा दिया था, इसलिए कोई कांग्रेसी खुद को निर्दोष नहीं कह सकते।”
उन्होंने सदन में नोट लहराने वाले भाजपा के लोकसभा सदस्यों को शाबाशी दी और उन्हें ‘साहसी’ करार दिया।
काले बादलों के घिरने और तुरंत तेज बारिश शुरू होने पर लोग हालांकि सभास्थल से खिसकने लगे, फिर भी अधिकांश लोग आडवाणी के 30 मिनट का भाषण पूरा होने तक डटे रहे।
मौसम खराब हो जाने के कारण पार्टी के राष्ट्रीय नेता एम. वेंकैया नायडू, रवि शंकर प्रसाद और एच.एन. अनंत कुमार तय कार्यक्रम के बावजूद जनसभा को सम्बोधित नहीं कर पाए।
उल्लेखनीय है कि येदियुरप्पा के मंत्रिमंडल में रह चुके कम से कम 11 मंत्रियों ने आडवाणी की जनसभा से दूरी बनाए रखी।