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अन्ना सेंटेनरी लाइब्रेरी को स्थानांतरित करने पर रोक

चेन्नई ।। मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार के उस निर्णय पर रोक लगा दी जिसमें नवनिर्मित अन्ना सेंटेनरी लाइब्रेरी (एसीएल) को स्थानांतरित कर इसके स्थान पर बच्चों का एक अस्पताल खोलने की बात कही गई थी।

दो वकीलों आर. प्रभाकरन व पी. पुगाझेंदी द्वारा दायर की गई दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही पूछा है कि सरकार ने पुस्तकालय को अस्पताल में तब्दील करने का निर्णय क्यों लिया। छह सप्ताह के अंदर सरकार को नोटिस का जवाब देना है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार का निर्णय राजनीति से प्रेरित है। मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने बुधवार को इस पुस्तकालय को अस्पताल में तब्दील करने और पुस्तकालय को लोक सूचना निदेशालय (डीपीआई) की इमारत में स्थानांतरित करने के फैसले की घोषणा की थी। डीपीआई की इमारत में एक इंटीग्रेटेड नॉलेज पार्क बनाने की योजना है।

जयललिता ने कहा था, “इंटीग्रेटेड नॉलेज पार्क में डीपीआई के तहत कार्यालय, प्रशिक्षण केंद्र, सम्मेलन हॉल, खेल परिसर, दूरस्थ शिक्षा स्टूडियो, इन्क्यूबेशन सेंटर और एक आधुनिक केंद्रीय पुस्तकालय होगा।”

उन्होंने कहा था कि प्रस्तावित बच्चों का अस्पताल देश का अपनी ही तरह का पहला अस्पताल होगा और इसके बाद तमिलनाडु बाल स्वास्थ्य की देखभाल के मामले में शीर्ष पर होगा।

इससे पहले सरकार ने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) द्वारा बनवाए गए नए विधानसभा भवन को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसे अस्पताल में तब्दील करने का फैसला लिया था।

दिवंगत मुख्यमंत्री सी.एन. अन्नादुरई की याद में 17.2 करोड़ रुपये की लागत से अन्ना सेंटेनरी लाइब्रेरी का निर्माण किया गया था। इस लाइब्रेरी की 12 लाख पुस्तकें रखने की क्षमता है।

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