दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए उन्होंने एक मत से सरकार से रूस में हिन्दुओं के धार्मिक अधिकार सुनिश्चित करने की मांग की। लोकसभा में बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्य भर्तृहरि महताब ने यह मामला उठाया और सरकार से रूस में रह रहे हिन्दुओं की धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने को कहा।
उन्होंने आईएएनएस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रूस में गीता को ‘चरमपंथी’ साहित्य बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाए जाने की कोशिशें हो रही हैं। इस पर अंतिम आदेश सोमवार को ही साइबेरिया के तामस्क सिटी की अदालत द्वारा दिया जाना है।
यह रिपोर्ट आईएएनएस ने शनिवार को दी जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रूस की आधिकारिक यात्रा पर थे। महताब ने कहा, “मैं जानना चाहता हूं कि सरकार इस पर क्या कर रही है? रूस में हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। सरकार को कूटनीतिक माध्यमों से इस दिशा में रूसी प्रशासन से बात करनी चाहिए।”
यह मामला तामस्क की अदालत में जून से ही है। इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कंससनेस (इस्कॉन) के संस्थापक ए. सी. भक्तिवेदांता स्वामी प्रभुपद ने गीता का रूसी भाषा में अनुवाद किया है, जिस पर रूस में प्रतिबंध की कोशिशें हो रही हैं। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि यह ‘सामाजिक वैमनस्य’ बढ़ा रहा है और रूस में इसका वितरण अवैध है।
मास्को में रहने वाले भारतीयों की संख्या करीब 15,000 है और रूस में इस्कॉन धार्मिक आंदोलन के अनुयायियों ने भारत सरकार से इस मुद्दे के समाधान के लिए पर कूटनीतिक माध्यमों से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
लोकसभा में महताब ने जब यह मुद्दा उठाया तो अन्य दलों के सांसदों ने भी उनका समर्थन करते हुए सदन की अध्यक्ष मीरा कुमार से इस पर अपना पक्ष रखने की अनुमति मांगी। उन्होंने हालांकि उनका अनुरोध खारिज कर दिया और उनसे नोट भेजने को कहा।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कहा कि हिन्दू ग्रंथ चरमपंथ नहीं सिखाता। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों ने भी उनका समर्थन किया, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।