नई दिल्ली, Hindi7.com ।। राष्ट्रमंडल खेल आयोजन के दौरान देश की प्रतिष्ठा बचाने के नाम पर केंद्र सरकार व सरकारी एजेंसियों द्वारा जो अपार धन वर्षा की गई थी, उसके परत-दर- परत अब खुलने लगे हैं। भ्रष्टाचार पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] की रिपोर्ट संसद में पेश कर दी गई है, जिसमें पीएमओ, दिल्ली सरकार, खेल मंत्रालय सहित केंद्रीय व दिल्ली सरकार की निर्माण एजेंसियों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। 745 पेज की यह रिपोर्ट कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में बड़े पैमाने पर नेताओं और निर्माण एजेंसियों द्वारा मचाई गई बंदरबांट का पर्दाफाश करती है। लगभग सौ करोड़ रुपये के ठेके और तीन करोड़ रुपये कंसल्टेंसी फीस को लेकर दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित कठघरे में हैं।
कैग ने उठाए पीएमओ पर सवाल
कैग की रिपोर्ट में प्रधानमंत्री पर भी टिप्पणी की गई है। इसमें कहा गया है कि दिसंबर 2004 में तत्कालीन खेल मंत्री सुनील दत्त की आपत्ति के बावजूद पीएमओ ने सुरेश कलमाड़ी को कॉमनवेल्थ गेम्स ऑर्गनाइजिंग कमिटी का चेयरमैन बनाया। दस्तावेज और कैग रिपोर्ट के अंश बताते हैं कि कलमाड़ी को अध्यक्ष बनाने के लिए खेलों की बोली का दस्तावेज और ऑर्गनाइजिंग कमिटी का वैधानिक ढांचा तक बदल दिया गया।
कलमाड़ी को अध्यक्ष बनाने की आधिकारिक सूचना पीएमओ ने दिसंबर 2004 में जारी की। इससे पहले तक सुनील दत्त की अध्यक्षता वाली कमिटी काम कर रही थी। उसका तख्तापलट कर कलमाड़ी की ऑर्गनाइजिंग कमिटी काबिज हो गई।
कैग की रिपोर्ट बताती है कि ऑर्गनाइजिंग कमिटी में मौजूद सरकारी नुमाइंदों ने कलमाड़ी के किसी फैसले पर कभी सवाल नहीं उठाया। यह जगजाहिर है कि सवाल उठाने वाले सुनील दत्त 2004 में रसूख गंवा बैठे थे और मणिशंकर अय्यर अप्रैल 2008 में खेल मंत्रालय से हटा दिए गए थे।
शीला और उनके सहयोगियों का बंदरबांट
दिल्ली को सजाने में 100 करोड़ रुपये का बंदरबांट हुआ। नियमों को ताक पर रखकर “मेसर्स स्पेस एंड स्विच गियर्स कंपनी” को काफी ऊंची कीमत पर स्ट्रीट लाइट लगाने का टेंडर दिया गया। दिल्ली पुलिस की आपत्ति के बावजूद कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान आपातकालीन संचार सेवा का टेंडर जारी किया गया। गमलायुक्त पौधों की खरीद में भी जमकर घोटाला किया गया। इन सबके अलावा फ्लाई ओवर और सड़कों की क्वालिटी व लागत के ऊपर तमाम तरह के सवाल खड़े किये गये हैं।
कलमाड़ी और उनके सहयोगियों का बंदरबांट
उपभोक्ता सामानों, फिटनेस उपकरणों की खरीद में लूट। मुफ्त टिकट बांटने का अभूतपूर्व खेल हुआ। कैटरिंग के ठेके में भारी गड़बड़ी की गई। टाइमिंग और स्कोरिंग प्रणालियों की खरीद में घोटाला किया गया। इवेंट और कार कंपनियों को ठेके देने में गड़बड़ी की गई। स्मैम, फास्ट ट्रैक को विज्ञापन और प्रसारण के अधिकार देने के फैसले में पक्षपात और कमीशनखोरी किया गया। आयोजन समिति में मनमानी नियुक्तियां की गईं।
डिम्ट्स पर शीला की मेहरबानी
दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टीमोडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम [डिम्ट्स] पर मेहरबानी में नियम ताक पर रख दिए। इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फाइनैंस कंपनी और डिम्ट्स खेलों के दौरान दिल्ली की परिवहन व्यवस्था सुधारने के सभी प्रमुख योजनाओं में एकमात्र कंसल्टेंट थी। बसों की खरीद, बसों में एलईडी नोटिस बोर्ड लगाने, बस शेल्टर बनवाने के कामों में सरकार को सलाह देने का काम इसी के पास था। इसके लिए डिम्ट्स को 3.17 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ। इसके बाद दिल्ली सरकार ने डिम्ट्स को 1000 बस शेल्टर बनाने का ठेका भी दे दिया। इसकी लागत 96.70 करोड़ थी। डिम्ट्स की सलाह से सरकार को चूना लगा, क्योंकि खेलों के पहले कंपनी 125 बस शेल्टर ही बना सकी।
डिम्ट्स की तरफदारी पर कैग ने गंभीर टिप्पणियां की है, जिनका जवाब देना दिल्ली सरकार के लिए मुश्किल होगा। खेलों के दौरान महंगी कीमत पर लो फ्लोर बसों की खरीद इसी कंपनी की सलाह पर हुई। दिल्ली सरकार ने पहली खेप में 2500 बसें खरीदीं, जबकि बाद में उन्हीं कीमतों पर डीटीसी ने 625 बसें और खरीद लीं। बसों की खरीद में सरकार को 61 करोड़ का नुकसान हुआ। बस खरीद में डिम्ट्स को करीब 1.3 करोड़ रुपये की कंसल्टेंसी फीस भी मिली।
एमार-एमजीएफ को क्यों मिला ठेका?
गेम्स विलेज के निर्माण का ठेका एमार-एमजीएफ कंस्ट्रक्शंस लिमिटेड को देने में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने गंभीर अनियमितताएं बरतीं। डीडीए ने तीन अहम प्री क्वालिफिकेशन शर्तें रखी थीं। इनमें रेजीडेंशियल यूनिट बनाने का तीन वर्ष का अनुभव, पिछले तीन सालों में 200 करोड़ रुपये का औसत वार्षिक टर्नओवर और वित्त वर्ष के अंतिम दिन 100 करोड़ रुपये की नेटवर्थ शामिल थी। अगर बोली देने वाला कंसोशिर्यम हो, तो उसके प्रमुख सदस्य को पहली दो शर्तें और 26 फीसदी या इससे अधिक होल्डिंग रखने वाले सभी सदस्यों को तीसरी शर्त पूरी करनी थी। तीन में से किसी भी शर्त पर खरी नहीं उतरने वाली कंपनी एमार-एमजीएफ बाद में कंसोर्शियम के रास्ते सफल बिडर के तौर पर उभरी।
मलबा उठाने में भी घोटाला
कॉमनवेल्थ गेम्स से ठीक पहले एक कंपनी को दिल्ली में मलबा उठाने का ठेका दिए जाने का मामला भी तूल पकडऩे लगा है। हाल ही में आई कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि जिस कंपनी को मलबा उठाने का ठेका दिया गया, उस कंपनी में मुख्यमंत्री के रिश्तेदार शामिल थे। वैसे दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव पी.के. त्रिपाठी ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है।
शीला दीक्षित का बचाव कर रही है कांग्रेस
भ्रष्टाचार के आरोप में घिरीं दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का उनकी पार्टी के नेता और केंद्र सरकार के मंत्री खुलकर बचाव करते नजर आ रहे हैं। सलमान खुर्शीद ने शीला पर लगे आरोपों को निराधार बताया है। खुर्शीद का कहना है कि शीला को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सीएजी रिपोर्ट में कहीं भी उनका नाम नहीं लिया गया है।
शीला दीक्षित ने एक आपात बैठक की
संसद में रिपोर्ट पेश होने के बाद शीला दीक्षित ने आपात बैठक की है।
भाजपा के हमले तेज
भाजपा सहित कई विपक्षी दलों ने की सीएम के तत्काल इस्तीफे की मांग की है। बीजेपी का आरोप है कि शीला दीक्षित ने देश को लूट लिया है। पार्टी ने पीएम से दिल्ली की सीएम का इस्तीफा लेने की मांग की है।
माकपा के भी तेबर कड़े
माकपा ने कहा है कि सीएजी रिपोर्ट में धांधली की बात सामने आने के बाद शीला दीक्षित को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए तत्काल सीएम पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। संसद में पेश सीएजी की 745 पन्नों की रिपोर्ट में दीक्षित पर धांधली के कई आरोप हैं।
लालू ने शीला का तो बचाव किया ही, साथ ही अन्ना पर भी हमला बोला
भ्रष्टाचार के ऊपर अन्ना के आंदोलन की आलोचना करते हुए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा कि जन लोकपाल के लिए अन्ना का आंदोलन बकवास है। लालू ने वाराणसी में कहा कि बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर ने इस देश के लिए आदर्श संविधान बनाया था, जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। अन्ना हजारे को पहले यह बताना चाहिए कि वह किस हैसियत से संसद से भी बड़ी ताकत बनना चाहते हैं?