Home देश मप्र में उत्खनन में नहीं चलते सरकारी नियम

मप्र में उत्खनन में नहीं चलते सरकारी नियम

भोपाल ।। मध्य प्रदेश में उत्खनन का काम जोरों पर चल रहा है और यह कारोबार जमीन को खोखला किए जा रहा है। आलम यह है कि वैधानिक तौर पर पट्टा हासिल करने वालों के लिए सरकारी नियमों की कोई अहमियत नहीं है। इसका खुलासा राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में दिए गए सवालों के जवाब से होता है। 

विधानसभा में कांग्रेस विधायक महेंद्र सिंह ने जबलपुर के झींटी में पेसिफिक कम्पनी द्वारा किए गए उत्खनन का मामला उठाया। उन्होंने जानना चाहा कि इस कम्पनी द्वारा किए जा रहे खनन को लेकर चली जांच के बाद सरकार की ओर से क्या कार्रवाई की गई।

इस सवाल के जवाब में राज्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि इस मामले में जांच कराई गई है और उसके आधार पर कार्रवाई भी की गई है। शुक्ल की ओर से जारी जवाब के साथ जो दस्तावेज जारी किए गए हैं उसके मुताबिक पेसिफिक कम्पनी द्वारा तय शर्तो का उल्लंघन किया गया है।

खनिज विभाग अपर सचिव एस.के. शिवानी की रिपोर्ट बताती है कि कम्पनी ने पट्टा हासिल करते वक्त भरोसा दिलाया था कि 100 करोड़ रुपये की लागत से खनिज आधारित उद्योग स्थापित किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

इतना ही नहीं पांच मई 2011 को जो जांच दल गया था उस दल को मौके पर उत्पादन पंजी, निकासी पंजी तक भी नहीं मिली। बाद में ये दस्तावेज उपलब्ध कराए गए। इन दस्तावेजों में पिछली समयावधि के दस्तावेज भी थे जिन्हें जांच दल ने उचित नहीं माना है। इसके अलावा जांच दल ने पाया है कि उत्खनन भी तय मात्रा से ज्यादा किया गया है। 

इस जांच रिपोर्ट के आधार पर खनिज सचिव एस.के. मिश्रा ने भी माना है कि इस कम्पनी ने तय शर्तो का उल्लंघन किया है। उन्होंने नियंत्रक भारतीय खान ब्यूरो नागपुर से खनन को निलम्बित करने की सिफारिश की थी।

जबलपुर के जिलाधिकारी गुलशन बामरा ने आईएएनएस को बताया है कि नियम विरूद्ध चल रहे उत्खनन पर रोक लगा दी गई है। यह कार्रवाई पांच सदस्यीय समिति की सिफारिश के बाद की गई है। इतना ही नहीं जबलपुर में नौ खदानों में खनन कार्य रोका गया है।

वहीं, विधायक संतोश जोशी व नंदिनी मरावी ने जबलपुर के ही अगरिया में निर्मला मिनरल्स व जय मिनरल्स द्वारा किए जा रहे उत्खनन का मसला उठाया। इसके जवाब में मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि केंद्रीय साधिकार समिति के प्रतिवेदन में दोनों कम्पनियों को आवंटित शासकीय भूमि को अभिलेखों के आधार पर संरक्षित वन के रूप में मान्य किए जाने की अनुशंसा की गई है। इस अनुशंसा पर वन विभाग कार्रवाई कर रहा है।

गौरतलब है कि जबलपुर की झींटी में चल रहे उत्खनन का मामला लोकायुक्त में भी पहुंच गया है। लोकायुक्त में की गई शिकायत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित 27 लोगों को आरोपी बनाया गया है। शिकायत में कहा गया है कि झीटीं में 600 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला हुआ है। 

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