Home देश खुदरा क्षेत्र में एफडीआई विवाद : निर्णय स्थगित होने से उद्योग जगत...

खुदरा क्षेत्र में एफडीआई विवाद : निर्णय स्थगित होने से उद्योग जगत बेहद मायूस

नई दिल्ली ।। देश के खुदरा बाजार को विदेशी कम्पनियों के लिए खोले जोने के निर्णय को लेकर उत्पन्न उत्साह, बुधवार को राजनीतिक दबाव में इस निर्णय के स्थगित हो जाने के बाद निराशा में बदल गया। 

भारतीय उद्योग जगत इस स्थिति से निराश है, और उसने कहा है कि इससे विदेशों में गलत संदेश भी जाता है। इसी उद्योग जगत ने पिछले महीने सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय की प्रशंसा की थी और कहा था कि इससे सुधार प्रक्रिया आगे बढ़ेगी और किसानों, उपभोक्ताओं और लघु एवं मध्यम उद्यमों को मदद मिलेगी।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष, हर्ष मरिवाला ने कहा, “मल्टीब्रांड खुदरा में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और सिंगल ब्रांड खुदरा में 100 प्रतिशत एफडीआई को स्थगित करने का सरकार का निर्णय अति निराशाजनक है।”

मरिवाला ने कहा, “यह बहुत ही प्रतिगामी कदम है। अर्थव्यवस्था के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की वृद्धि के लिए, जो कि कृषि क्षेत्र से मजबूती के साथ जुड़ सकता है, और साथ ही पूरी अर्थव्यवस्था के लिए यह आवश्यक है कि इस तरह के सुधार होने चाहिए।”

इस सप्ताह के प्रारम्भ में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने आशा जाहिर की थी कि खुदरा में एफडीआई के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच जल्द ही सहमति बन जाएगी, क्योंकि उसे लगता है कि यह कदम राष्ट्रहित में होगा और इससे रोजगार पैदा होंगे तथा किसानों व उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा।

प्रमुख औद्योगिक संगठन, एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कहा है, “राजनीतिक विरोध के कारण खुदरा में एफडीआई के मंत्रिमंडल के निर्णय को स्थगित करना, अवसर से चूकने का एक ऐसा स्पष्ट मामला है, जिससे एक वैश्विक निवेश स्थल के रूप में देश की छवि धूमिल होगी।”

एसोचैम ने कहा है, “अवसर से चूकने का यह एक ऐसा स्पष्ट मामला है, जिससे तीन वर्षो में एक करोड़ से अधिक नई नौकरियां पैदा होतीं, कृषि क्षेत्र में बर्बादी पर लगाम लगता, किसानों को उत्पादों की बेहतर कीमतों का लाभ होता और उपभोक्ताओं के लिए कई वस्तुएं सस्ती होतीं।”

ज्ञात हो कि थैक्सगिविंग दिवस, यानी गुरुवार 24 नवम्बर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए एक निर्णय के तहत मल्टीब्रांड खुदरा में 51 प्रतिशत विदेशी निवेश को अनुमति देने और सिंगल ब्रांड खुदरा में विदेशी निवेश को बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का निश्चय किया गया था।

सत्ताधारी, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के अंदर और बाहर, दोनों तरफ से हो रहे भारी विरोध के बाद, अंतत: इस निर्णय को आम सहमति बनने तक बुधवार को स्थगित कर दिया गया। 

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने इस मुद्दे पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि खुदरा में एफडीआई की अनुमति स्थगित किए जाने के निर्णय का निवेशकों की भावना पर बहुत नकारात्मक असर होगा।

बनर्जी ने कहा, “बहु ब्रांड खुदरा में एफडीआई से किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों, उपभोक्ताओं और सरकार को समानरूप से अनेक लाभ होते।”

बनर्जी ने आशा जाहिर की कि इस निर्णय को वापस नहीं लिया जाएगा और इस मुद्दे पर जल्द ही सहमति बन जाएगी। उन्होंने कहा, “मल्टीब्रांड खुदरा में एफडीआई सुधार का एक महत्वपूर्ण एजेंडा है और यह भारत को एक बड़ा अवसर प्रदान करता है।”

प्रमुख औद्योगिक संगठन, एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कहा है, “राजनीतिक विरोध के कारण खुदरा में एफडीआई के मंत्रिमंडल के निर्णय को स्थगित करना, अवसर से चूकने का एक ऐसा स्पष्ट मामला है, जिससे एक वैश्विक निवेश स्थल के रूप में देश की छवि धूमिल होगी।”

एसोचैम ने कहा है, “अवसर से चूकने का यह एक ऐसा स्पष्ट मामला है, जिससे तीन वर्षो में एक करोड़ से अधिक नई नौकरियां पैदा होतीं, कृषि क्षेत्र में बर्बादी पर लगाम लगता, किसानों को उत्पादों की बेहतर कीमतों का लाभ होता और उपभोक्ताओं के लिए कई वस्तुएं सस्ती होतीं।”

Rate this post

NO COMMENTS