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खुदरा विवाद : सर्वदलीय बैठक से पहले फैसला वापस लेने पर अड़ा विपक्ष

नई दिल्ली ।। बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। विपक्षी दलों ने इस फैसले को निलम्बित या रोके रखने के किसी भी निर्णय का विरोध करने और उसे वापस लेने की मांग करने का फैसला किया है।

मतलब साफ है कि बुधवार सुबह होने वाली सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दल सरकार पर इस फैसले को वापस लेने का दबाव बनाएंगे और सरकार यदि इससे सहमत नहीं हुई और इसी प्रकार का बयान संसद में नहीं आया तो गतिरोध थमने की सम्भावना कम ही है।

ज्ञात हो कि एफडीआई की अनुमति के फैसले पर बने संसदीय गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। 

बैठक से ठीक पहले विपक्षी दलों ने साफ कर दिया है कि इस फैसले को निलम्बित रखने या रोके रखने से काम नहीं चलने वाला है, सरकार को इस फैसले को निरस्त करना होगा।

सरकार की ओर से संकेत है कि वह एफडीआई के विवादास्पद फैसले को फिलहाल रोके रखना चाहती है और इस सम्बंध में वह संसद में बयान दे सकती है। सर्वदलीय बैठक इन संकेतों के बीच होने वाली है। चार दिनों के अंतराल के बाद बुधवार को संसद की कार्यवाही भी होनी है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राजनाथ सिंह ने कहा कि राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं की बैठक संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले बुधवार सुबह 9.30 बजे होगी। 

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात ने मांग की कि केंद्र सरकार खुदरा कारोबार में एफडीआई के फैसले को निरस्त करे।

करात ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, “सरकार की मंशा संसद के शीतकालीन सत्र के खत्म होने तक एफडीआई पर लिए गए फैसले को रोके रखने की है। लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार इस फैसले को निरस्त करे।”

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कोलकाता में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एफडीआई के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए।

उन्होंने कहा, “यह सच है कि हम एफडीआई का विरोध कर रहे हैं लेकिन साथ ही हम यह भी चाहते हैं कि संसद चले। संसद चले तो हम महंगाई और काले धन का मुद्दा उठा सकते हैं।” उन्होंने कहा कि इस मसले पर भाजपा की नेता सुषमा स्वराज से उनकी बात हुई है।

दासगुप्ता ने कहा, “हमारी स्थिति स्पष्ट है। हम चाहते हैं कि सरकार इस फैसले को पूरी तरह वापस ले।” 

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सवाल उठाया कि एफडीआई के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव राहुल गांधी चुप क्यों हैं।

भाजपा नेता अरुण जेटली ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, “सरकार ने 25 नवम्बर को खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति देने का फैसला लिया, तब से लेकर अब तक मुझे इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष (सोनिया गांधी ) और उनके महासचिव (राहुल गांधी) के विचार जानने का मौका नहीं मिला, जबकि राहुल को भविष्य का नेता माना जाता है।”

उन्होंने कहा, “वे (सोनिया और राहुल) सरकार की नीति से खुश हैं या नहीं, यह बात अभी तक लोगों को पता नहीं चला है।”

उन्होंने कहा, “सरकार में शामिल लोग सोचते हैं कि वे एक झटके में ही कुछ हासिल कर लेंगे।”

उल्लेखनीय है कि इस सिलसिले में मुखर्जी ने सोमवार को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी एवं सुषमा स्वराज और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी से बात की थी।

उल्लेखनीय है कि कालाधन, महंगाई और एफडीआई सहित अन्य मुद्दों पर विरोध और हंगामे के चलते संसद के शीतकालीन सत्र का करीब आधा समय नष्ट हो चुका है।

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