चण्डीगढ़ से 30 किलोमीटर दूर पंचकुला के पास एक कार्यक्रम से इतर उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना के बारे में जिस सुरक्षा को लेकर चिंताएं जाहिर की जा रही थीं, वह नहीं हैं।
बनर्जी ने कहा, “अगर कोई परमाणु रिएक्टर में जीवन भर काम करता रहे तब भी उसको कोई खतरा नहीं होगा। इसकी तुलना में एक सीटी स्कैन से ज्यादा विकिरण हो सकता है।”
“देश में सभी परमाणु बिजली संयंत्र बिल्कुल सुरक्षित हैं। हमने न केवल वर्तमान दशाओं में सुरक्षा उपायों का परीक्षण किया बल्कि सुरक्षा उपायों की स्थिरता का भी परीक्षण किया।”
उन्होंने जापान के फुकुशिमा परमाणु बिजली संयंत्र के संदर्भ में कुडनकुलम परियोजना के निकट रहने वाले स्थानीय लोगों की सुरक्षा चिंताओं के विषय में कहा कि फुकुशिमा दुर्घटना ने भारतीय वैज्ञानिकों के लिए एक सबक के रूप में काम किया है।
उन्होंने कहा, “इसको देखते हुए हमने तुरंत कार्यदल का गठन किया जिसने प्रत्येक संयंत्र का हर आयाम में परीक्षण किया। कार्यदल ने अल्पकालिक और दीर्घकालिक सुरक्षा उपायों को लगाने की सलाह दी।”
उन्होंने कहा कि कुडनकुलम परियोजना में भूकम्पों, सुनामी, ज्वारभाटा, चक्रवातों, शॉक-तरंगे, संयंत्र की इमारत पर विमान दुर्घटनाग्रस्त होने अथवा आग लगने से होने वाली दुर्घटना से बचने का प्रावधान किया गया है।
यह गलत धारणा है कि परमाणु बिजली रिएक्टरों से विकिरण फैलता है। “वास्तव में फुकुशिमा दुर्घटना में विकिरण के कारण किसी की मौत नहीं हुई थी।”
उन्होंने कहा ऐसे संयंत्रों के दुर्घटनाग्रस्त होने से होने वाली मौतों का सड़क दुर्घटना से तुलना किया। उनके मुताबिक, “30 देशों में करीब 14,000 परमाणु रिएक्टर हैं और आज की तारीख तक इससे मरने वालों की संख्या केवल 52 है। वहीं देश में सड़क दुर्घटना में हर साल करीब 1.7 लाख लोगों की मौत हो जाती है।”