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उपन्यासकार कक्कानादन का निधन

कोल्लम (केरल)।। उपन्यासकार जॉर्ज वर्गीज कक्कानादन का यहां बुधवार सुबह निधन हो गया। वह 76 वर्ष के थे।

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, कक्कानादन पिछले कुछ वर्षो से कैंसर से पीड़ित थे। उन्होंने कोल्लम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है।

बहुआयामी व्यक्तित्व वाले कक्कानादन ने अपने करियर की शुरुआत एक स्कूल अध्यापक के रूप में की थी। बाद में उन्होंने दिल्ली में 10 वर्षो तक भारतीय रेलवे में काम किया। बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और भौतिक शास्त्र में अध्ययन के लिए 1967 में जर्मनी चले गए।

कुछ वर्षो तक भौतिक शास्त्र की थाह लेने के बाद उन्होंने अपना शोध छोड़ दिया और पूरा समय लेखन को समर्पित कर दिया।

मलयालम साहित्य में आधुनिकता की नींव डालने का श्रेय कक्कानादन को ही जाता है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था।

उन्होंने कई लघु कथाएं और उपन्यास लिखे थे। उनकी दो रचनाओं पर मलयालम में सुपरहिट फिल्में बनी थीं। उनकी चर्चित रचनाओं में ‘उश्नामेखला’, ‘वासूरी’, ‘जापाना पुकायिला’, ‘कक्कनादंते प्रियकथकल’, और ‘साक्षी’ शामिल हैं।

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