अहमदाबाद ।। गुजरात के दंगा पीड़ितों ने नरेंद्र मोदी के तीन दिनी उपवास को धोखा करार देते हुए कहा है कि उन्हें इंसाफ मिले बिना सद्भावना नहीं आ सकती। नरौदा पाटिया के सैकड़ों दंगा पीडितों ने फैसला किया है कि वे मुख्यमंत्री मोदी को इस संबंध में एक पत्र सौंपेंगे।जन संघर्ष मंच नाम के एक एनजीओ के बैनर तले दंगा पीडित इंसाफ की मांग के लिए अपना आंदोलन चला रहे हैं। वकील और इस एनजीओ के वरिष्ठ सदस्य मुकुल सिन्हा ने कहा कि 500 से ज्यादा दंगा पीडितों ने एक चिट्ठी तैयार की है। यह चिट्ठी मुख्यमंत्री और राज्यपाल को दी जाएगी।सिन्हा के मुताबिक, इस चिट्ठी में दंगा पीडितों ने लिखा है कि उन्हें इंसाफ मिले बिना राज्य में सद्भावना नहीं आ सकती। इसमें सरकार से राज्य में न्याय देने की प्रभावी व्यवस्था बहाल करने की भी मांग की गई है।उधर, भाजपा के कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी के मुस्लिम समुदाय की तरफ बढ़ते झुकाव को लेकर असमंजस में हैं। बहरहाल, कार्यकर्ता का मानना है कि सद्भावना मिशन से मोदी को मुस्लिम समाज का समर्थन मिलेगा। वहीं, कुछ कार्यकर्ता मान रहे हैं कि सद्भावना मिशन से पारंपरिक हिंदू वोटर उनसे कहीं दूर न हो जाए। हालांकि, पार्टी के भीतर एक राय है कि हिंदू मोदी के खिलाफ वोट नहीं देंगे, क्योंकि वे राज्य के कामकाज से खुश हैं और वे सद्भावना मिशन को कुछ हफ्तों में भूल जाएंगे। सद्भावना मिशन की शुरुआत में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि गुजरात के छह करोड़ लोग उनका परिवार हैं। मिशन में बड़ी संख्या में मौजूद मुस्लिमों ने इस बात के लिए मुख्यमंत्री की तारीफ की थी।उधर, विकल्प ट्रस्ट नाम के एक गैर सरकारी संगठन ने एक जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि उनके उपवास पर हुए खर्च को सार्वजनिक किया जाय और इसकी भरपाई या तो वह खुद करें या उनकी पार्टी करे। यह पीआईएल हाई कोर्ट की बेंच के सामने इसी हफ्ते सुनवाई के लिए आ सकती है।याचिकाकर्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री ने सरकारी मशीनरी का निजी फायदे के लिए गलत इस्तेमाल किया है। विकल्प ट्रस्ट के वकील के.जी. पंडित ने कहा कि सरकार ने सभी सुरक्षा, पुलिसिंग और नागरिक नियमों को धता बताकर इस उपवास का आयोजन किया है।