विवाद की शुरुआत रविवार को उस वक्त हुई जब केजरीवाल ने नागपुर के वसंतराव देशपांडे ऑडिटोरियम में सरकार के खिलाफ बोलना शुरू किया। एक बयान में केजरीवाल ने कहा कि उन्हें कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा बाहर काले झंडे दिखाने की जानकारी दी गई थी, लेकिन बाद में बताया गया कि पुलिस उन्हें ले गई।
केजरीवाल के अनुसार, “आज (सोमवार) सुबह मुझे समाचार पत्रों से जानकारी मिली कि मेरे खिलाफ बाहर जो लोग प्रदर्शन कर रहे थे, उन्हें खदेड़ा गया और ऑडिटोरियम में बैठे कुछ लोगों ने उनके साथ मारपीट की। मुझे इसकी जानकारी नहीं थी, क्योंकि सबकुछ ऑडिटोरियम के बाहर हो रहा था।”
उन्होंने कहा, “कार्यक्रम की समाप्ति पर मुझे एक आयोजक ने बताया कि कुछ लोग ऑडिटोरियम के बाहर मेरे खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। मैंने उनसे प्रदर्शनकारियों को अंदर बुलाने को कहा। वह कुछ देर बाद आए और उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों को पुलिस ले गई।”
केजरीवाल के मुताबिका, वह प्रदर्शनकारियों से बातचीत करना चाहते थे। उन्होंने बैठक स्थल पर हुई हिंसा की आलोचना की और कहा, “समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरें पढ़कर मुझे तकलीफ हुई है। मैं प्रदर्शनकारियों के साथ हुई हिंसा की निंदा करता हूं। सभी को प्रदर्शन का अधिकार है।”
केजरीवाल ने समर्थकों ने दोबारा कभी ऐसा नहीं करने का अनुरोध किया और कहा, “यह न सिर्फ हमारे आंदोलन के सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि इससे आंदोलन कमजोर भी होगा।”