नई दिल्ली, Hindi7.com ।। भारत ने गुरुवार को पाकिस्तान से फांसी की सजा पाए अपने नागरिक सरबजीत सिंह को मानवीय आधार पर रिहा करने की मांग की है। वर्ष 1990 में लाहौर और मुल्तान में हुए बम विस्फोटों में कथित संलिप्तता के लिए सरबजीत को दोषी ठहराया गया है।
विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने शून्यकाल के दौरान राज्यसभा में कहा कि उन विस्फोटों में उसकी संलिप्तता के पाकिस्तानी विचार से हम सहमत नहीं हैं। कृष्णा ने जोर देकर कहा कि भारत ने इस मामले को पाकिस्तान सरकार के साथ अत्यंत गम्भीरता से उठाया है।
सदन के सदस्यों ने हत्या के दोष में अजमेर की जेल में आजीवान कारावास की सजा काट रहे पाकिस्तानी डॉक्टर खालिद चिश्ती [80] के बारे में भी विवरण मांगा। इस पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को राजस्थान सरकार से विवरण मांगने के निर्देश दे दिये गये हैं।
ज्ञात हो कि सरबजीत को 15 सितम्बर 1991 को फांसी की सजा सुनाई गई थी। उस पर आरोप है कि वह लाहौर और मुल्तान में हुए बम विस्फोटों में संलिप्त था। उसकी दया याचिका पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पास भेजी गई है।
कृष्णा ने कहा कि यह उनके लिए आवश्यक है कि वे याचिका पर मानवतावादी नजरिया अपनाएं। उन्होंने कहा कि मामले को पूरी तत्परता के साथ उठाया जा रहा है। पाकिस्तान की हिरासत से अपने नागरिक को छुड़ाने के लिए भारत सरकार अपनी पूरी ताकत लगा देगी।