Home देश गायत्री महाकुंभ के लिए 7 राज्यों में बनाए जा रहे कलश

गायत्री महाकुंभ के लिए 7 राज्यों में बनाए जा रहे कलश

हरिद्वार ।। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जन्म शताब्दी के मौके पर यहां हो रहे गायत्री महाकुंभ की विशाल कलश यात्रा के लिए सात राज्यों में कलश तैयार किए जा रहे हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड में गढ़े जा रहे पीले रंग के इन खूबसूरत कलशों को 30 अक्टूबर तक हरिद्वार पहुंचा दिया जाएगा।

महोत्सव के पहले दिन छह नवम्बर को 24 हजार पीतवस्त्रधारी महिलाएं इस कलश को अपने सिर पर रखकर ‘कलश यात्रा’ निकालेंगी। गायत्री महाकुंभ हरिद्वार में छह से 10 नबम्बर तक आयोजित होगा, जिसमें करीब 50 लाख लोगों के एकत्र होने की उम्मीद है।

हरिद्वार में शांतिकुंज के प्रवचन हाल में भी मिट्टी के कलशों को अमृत कलश के रूप में सजाया-संवारा जा रहा है। पीले रंग की पुताई करने के लिए 10-10 महिलाओं की 30 टोलियां पांच स्थानों पर कार्य कर रही हैं।

विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणब पांडया ने बताया कि पीला रंग सात्विकता का प्रतीक एवं सूर्य से शक्ति हासिल करने वाला है। कलशों की पुताई के बाद उन पर गायत्री महामंत्र अंकित किया जा रहा है, जो सन्मार्ग बढ़ाने की ईश-वंदना है। इस कार्य में यहां 18 टोलियां लगी हुई हैं।

उन्होंने कहा कि कलश पर स्वास्तिक बनाया जा रहा है। यह चिन्ह धनात्मक गति का प्रतीक है जबकि स्वास्तिक के मध्य में बनाए जाने वाले चार बिन्दुओं को दिशाओं से ऊर्जा संदोहन के केन्द्रीकरण का अभिनव प्रयोग माना गया है।

उन्होंने कहा कि कलश-यात्रा लालजी वाला में बनी 1551 कुंडीय यज्ञशाला से प्रारम्भ होगी, जिसमें भीमगौडा पर शांतिकुंज से तथा देवपुरा चौराहे पर बीएचईएल से आने वाली सह-धाराओं का विलय होगा। यात्रा लालजी वाला, वीआईपी घाट, पंथ द्वीप, भीमगौडा पुल, भीमगौडा, अपर रोड, हर की पौडी, मुख्य बाजार, रेलवे स्टेशन, देवपुरा चौराहा, शंकराचार्य चौक, चण्डी चौक से अस्थाई पुल पार कर वापस यज्ञशाला पहुंचेगी।

डॉ. पांडया के अनुसार इस आयोजन में 24 हजार कलश बहिनों के अलावा 11 हजार युग शिल्पियों की टोलियां, 108 संगीत दल, 1551 ज्ञान-पट्टधारी, 1008 बटुक ब्रह्मचारी, 108 शंख-ध्वनि वादक, 2001 ढपली-ध्वनि वादिनी, 501 मोटरसाइकिल चालक, 501 साइकिल चालक, देश-विदेश के 51 सांस्कृतिक दलों द्वारा लोक संस्कृति के दिग्दर्शन कराने वाले प्रदर्शन, 16 जीवंत झझांकियां, 51 ज्ञान रथ सहित शहनाई, बांसुरी, मृदंग आदि के वादक दलों के अलावा ऊंट, घोडा, हाथी, बग्गाी भी शामिल रहेंगे।

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