इस मामले में सिर्फ अफजल गुरु को ही फांसी की सजा सुनाई गई है। इस आतंकवादी हमले में शहीद हुए दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल विजेंद्र सिंह के बेटे 23 वर्षीय बिपिन अडाना ने कहा, “जब तक अफजल गुरु को फांसी पर नहीं लटकाया जाता, तब तक संसद हमले के शहीदों का कोई सम्मान नहीं हो सकता। जब सर्वोच्च न्यायालय ने अफजल गुरु को फांसी की सजा सुना दी है, तब अब तक इस पर अमल क्यों नहीं हुआ।”
मुआवजे के तौर पर सरकार द्वारा आवंटित पेट्रोल पम्प चला रहे अडाना ने कहा, “जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है, उनके सामने मुख्य मुद्दा यही है कि अफजल को फांसी क्यों नहीं दी जा रही। उस देशद्रोही को सजा क्यों नहीं दी गई। यह वास्तव में बहुत दुखद है।”
उल्लेखनीय है कि 13 दिसम्बर, 2001 को हथियारबंद आतंकवादियों ने भारतीय संसद परिसर में हमला कर दिया था। इस गोलीबारी में नौ लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में दिल्ली पुलिस के पांच कर्मचारी, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक महिला, संसद के दो गार्ड व एक माली मारे गए थे। सुरक्षाकर्मियों ने हमला करने वाले पांचों आतंकवादियों को भी मार गिराया था।
हमले के एक साल बाद मामले में अफजल गुरु सहित चार अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई। सुनवाई के बाद इन्हें दोषी पाया गया। आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के अफजल गुरु को मौत की सजा सुनाई गई। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन है।
मंगलवार को इस आतंकवादी हमले की 10वीं बरसी के अवसर पर उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के नेतृत्व में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज व अन्य सदस्यों ने श्रद्धांजलि समारोह में हिस्सा लिया।
विभिन्न दलों के नेताओं ने शहीदों की याद में एक मिनट का मौन रखा।
रेड क्रॉस सोसायटी ने संसद में एक रक्त दान शिविर का आयोजन किया था।