प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज सहित अन्य नेताओं ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
विभिन्न दलों के नेताओं ने शहीदों की याद में एक मिनट का मौन रखा। रेड क्रॉस सोसायटी ने संसद में एक रक्त दान शिविर का आयोजन किया था।
संसद भवन पर आतंकी हमले की 10वीं बरसी को ध्यान में रखते हुए संसद भवन और इसके इर्द-गिर्द सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा के काम में दिल्ली पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों, क्विक रियक्शन टीम और पीसीआर वैन को भी लगाया गया है।
पुलिस उपायुक्त, सुरक्षा खुद संसद भवन की चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रख रहे हैं। इसके अलावा मॉनीटरिंग का जिम्मा नई दिल्ली रेंज के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के.सी. द्विवेदी को दिया गया है।
गौरतलब है कि 13 दिसम्बर 2001 को पांच आतंकी एक सफेद रंग की एंबेसडर कार में सवार होकर संसद भवन के परिसर में प्रवेश कर गए थे। एंबेसडर कार में गृह मंत्रालय का स्टीकर चिपका हुआ था। अंदर प्रवेश करते ही आतंकियों ने संसद भवन परिसर को बंधक बनाने का प्रयास किया था।
दस साल पहले आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया था। संसद परिसर में तैनात सुरक्षा बलों ने इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए सभी आतंकवादियों को मार गिराया था।
मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने आतंकियों को रोकने के लिए ताबड़तोड़ गोलीबारी की थी और इस घटना में 12 सुरक्षाकर्मियों समेत कुछ अन्य लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में कुल 22 लोग जख्मी हुए थे। इनमें संसद भवन की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी के अलावा संसद भवन परिसर में काम करने वाले कर्मी शामिल हैं।
इस आतंकवादी हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल, संसद के दो गार्ड, संसद परिसर में काम कर रहा एक माली और एक पत्रकार शहीद हुए थे।
इस घटना के बाद संसद भवन समेत कुछ अन्य महत्वपूर्ण परिसरों की सुरक्षा पर खासा बवाल मचा था। हालांकि घटना के बाद संसद भवन समेत अन्य महत्वपूर्ण इमारतों की सुरक्षा काफी कड़ी कर दी गई है। संसद भवन के सभी गेटों पर अत्याधुनिक शस्त्रों से लैस सुरक्षाकर्मियों को जहां तैनात किया गया है, वहीं आमजनों के प्रवेश व सामान के लाए जाने पर पाबंदी लगा दी गई है।
बाद में दिल्ली पुलिस ने इस हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु को गिरफ्तार कर लिया था, जिसे अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। अफजल गुरु की फांसी पर दया याचिक राष्ट्रपति के पास विचाराधीन है।