इनमें कुडनकुलम परमाणु विद्युत संयंत्र को चालू करने, और तीन देशों के सीमा शुल्क संघ के साथ एक सम्भावित समझौता जैसे मुद्दे शामिल हैं। इस संघ में बेलारूस और कजाकिस्तान भी हैं।
मनमोहन सिंह गुरुवार शाम मास्को पहुंचे थे। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव और प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन के साथ दिनभर द्विपक्षीय शिखर बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान दोनों पक्षों ने अपने विशेष एवं विशिष्ट द्विपक्षीय रणनीतिक सम्बंधों को मजबूत किया और निजी मित्रता को फिर से ताजा किया।
प्रधानमंत्री के इस दौरे में उनके साथ पत्नी गुरशरण कौर और एक प्रतिनिधिमंडल था। इस प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, प्रमुख सचिव पुलक चटर्जी, तथा विदेश, रक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, तथा औद्योगिक नीति एवं संवर्धन मंत्रालयों के सचिव शामिल थे। मनमोहन सिंह ने मेदवेदेव के साथ तीन घंटे और पुतिन के साथ एक घंटे तक बातचीत की।
मनमोहन सिंह ने चार दिसम्बर के ड्यूमा चुनाव में सफलता के लिए रूस के दोनों नेताओं को बधाई दी। यह अलग बात है कि चुनाव में धांधली के विपक्ष के आरोपों को लेकर मास्को और रूस के अन्य शहरों में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन फूट पड़ा।
इस दौरान रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की भारत की दावेदारी के प्रति समर्थन दोहराया। इसके अलावा 46 देशों के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और क्षेत्रीय समूह, शंघाई सहयोग संगठन में भी भारत की सदस्यता के प्रति रूस ने अपना समर्थन दोहराया।
भारत और रूस ने पांच प्रमुख क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर किए। अर्थव्यवस्था और व्यापार पर खासतौर से ध्यान केंद्रित करते हुए मनमोहन और मेदवेदेव ने भारतीय एवं रूसी उद्योग प्रमुखों की एक बैठक में भी हिस्सा लिया।