राज्य सरकार के एक बयान के अनुसार उन्होंने जयललिता से कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी को ग्रामीणों एवं सम्बंधित व्यक्तियों से बातचीत करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
प्रधानमंत्री ने जयललिता से यह भी कहा कि वह तिरुनेलवेल्ली जिले की इस परियोजना के सम्बंध में राज्य के एक प्रतिनिधिमंडल से भी मिलना चाहेंगे।
मनमोहन सिंह को लिखे एक पत्र में जयललिता ने कहा है, “आपको पता है कि कुदनकुलम में परमाणु विद्युत परियोजना बहुत जल्द उद्घाटन के लिए तैयार है। लेकिन पिछले कुछ दिन कुदनकुलम के लोगों के लिए बहुत ही पीड़ादायक रहे हैं, क्योंकि फुकुशिमा त्रासदी और मीडिया में आईं इस तरह की अन्य आपदाओं को लेकर वे बहुत चिंतित हैं। यहां के निवासियों का अपने परिवारों और अपनी सुरक्षा को लेकर भयभीत होना स्वाभाविक है।”
जयललिता के अनुसार इस परियोजना से सम्बंधित मुद्दा कुदनकुलम के लोगों के सामान्य जीवन में खलल डाल रहा है।
पत्र में आगे लिखा गया है, “इस मुद्दे की गुंजाइश और भयावहता कुदनकुलम के आसपास के गांवों और लोगों में भय पैदा कर रही है। यह जानकार आश्चर्य होता है कि अब तक केंद्र सरकार के किसी भी जिम्मेदार मंत्री या सम्बंधित उच्च अधिकारी ने कुदनकुलम के लोगों से मिलने और उनकी चिंताओं को सुनने की जरूरत नहीं समझी है।”
जयललिता ने लिखा है, “यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है। कुदनकुलम इलाके के लोगों की गलतफहमियों और भय को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री को एक उच्चस्तरीय दल भेजना चाहिए था।”
जयललिता ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयंती नटराजन के बारे में भी प्रधानमंत्री से शिकायत की है। उन्होंने कहा है कि नटराजन एक मंत्री के अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से भागने की कोशिश कर रही हैं।
मीडिया ने जब नटराजन से इस परियोजना के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यह मुद्दा परमाणु ऊर्जा आयोग के अधीन आता है और उनके मंत्रालय का इससे कुछ भी लेना-देना नहीं है।
यहां मीडिया को जारी एक बयान में जयललिता ने समान विचारधारा वाली पार्टियों के नेताओं और अनशनरत प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वे एक ज्ञापन तैयार करें और एक प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री से मिलें।