तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आपराधिक साजिश) की धारा-120 (बी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-12 के तहत कार्रवाई की गई है।
विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल ने अमर सिंह के अलावा फगन सिंह कुलस्ते और महावीर सिंह भगोरा को 19 सितम्बर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
फैसला सुनाए जाने के बाद अमर सिंह अचम्भित थे। पुलिस तत्काल उन्हें वहां से लेकर चली गई।
न्यायाधीश ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, “आवेदन पर विचार करना अभी जल्दबाजी होगी। लिहाजा अभियोजन को जवाब सौंपने दीजिए।”
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अंतरिम जमानत का आधार नियमति जमानत के आधार के जैसा ही होता है।
इसके पहले सिंह ने स्वास्थ्य सम्बंधी कारणों से मंगलवार को अदालत में हाजिर होने से इंकार कर दिया था, लेकिन जब उनकी चिकित्सा रिपोर्ट मांगी गई, तब वह अदालत आ गए। उन्हें ‘वोट के लिए नोट’ मामले में अदालत में उपस्थित होना था।
अमर के वकील ने सुबह कहा था कि अस्वस्थता के चलते उनके अदालत में हाजिर न होने की छूट मांगी गई थी।
तीस हजारी अदालत परिसर के बाहर अमर के वकील ने संवाददाताओं से कहा था, “अमर सिंह स्वस्थ नहीं हैं और वह बिस्तर पर हैं। डॉक्टर ने उन्हें घूमने-फिरने से मना किया है। इसलिए हमने एक याचिका देकर कहा है कि वह मंगलवार को अदालत में उपस्थित नहीं हो पाएंगे।”
उन्होंने कहा था, “वह अदालत में उपस्थित होने से बच नहीं रहे हैं और जब अदालत सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित करेगी तो वह अदालत में उपस्थित होंगे।”
याचिका में कहा गया था कि कुछ साल पहले अमर का गुर्दा प्रत्यारोपण हुआ था और इसके बाद से उन्हें नियमित रूप से अस्पताल जाना पड़ता है। उन्हें उच्च रक्तचाप की भी शिकायत है।
इस पर न्यायाधीश ने अमर के वकील से उनकी चिकित्सा रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा। न्यायाधीश ने कहा कि रिपोर्ट में उस तारीख का उल्लेख होना चाहिए कि कब उनके गुर्दे का प्रत्यारोपण हुआ था, और उसके बाद वह कितनी बार चिकित्सक के पास गए।
सहगल ने कहा, “आप मंगलवार दोपहर 12.30 बजे तक सभी तारीखों की अपनी विशेष चिकित्सा रिपोर्ट पेश करें।” इसके बाद अमर अदालत पहुंच गए।
दिल्ली पुलिस ने 24 अगस्त को अमर सिंह सहित छह लोगों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था।
इसके बाद सहगल ने 25 अगस्त को अमर, कुलस्ते, भगोरा तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी को सम्मन जारी किया था। इन सभी को मंगलवार को अदालत में उपस्थित होना था।
आरोप पत्र में कहा गया है कि जांच के दौरान इस बात के पर्याप्त सबूत मिले हैं कि 22 जुलाई, 2008 की सुबह अमर सिंह ने अपने सचिव संजीव सक्सेना के साथ अवैध रूप से एक करोड़ रुपये देने का आपराधिक षड्यंत्र रचा था।
आरोप पत्र में कुलकर्णी और पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके मध्यस्थ सुहैल हिंदुस्तानी के भी नाम हैं। मामले में सीएनएन-आईबीएन के प्रमुख राजदीप सरदेसाई सहित 54 गवाह हैं।
ज्ञात हो कि 22 जुलाई, 2008 को तीन भाजपा सांसदों ने लोकसभा में विश्वास मत के दौरान नोटों की गड्डियां लहराई थीं। इन सांसदों का आरोप था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए उन्हें यह पैसा दिया गया है।